ताली बजाने की क्या जरूरत है?भड़के प्रेमानंद महाराज, कहा- यहां कोई नेता का भाषण...

ताली बजाने की क्या जरूरत है?भड़के प्रेमानंद महाराज, कहा- यहां कोई नेता का भाषण...
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मथुरा के प्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. देश से लेकर विदेश तक के लोग वृंदावन के फेमस संत से मिलने पहुंचते हैं. दूर-दूर से लोग प्रेमानंद महाराज की तारीफ करते नहीं थकते. वहीं, सोशल मीडिया पर आजकल छाए रहते हैं. वे अपने सत्संग के माध्यम से लोगों को सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन का ज्ञान देते हैं. अक्सर, प्रेमानंद महाराज से सत्संग के बाद श्रद्धालु अपनी तमाम तरह की समस्याओं को लेकर सवाल पूछते हैं, जिसका संत बहुत सहज तरीके से उत्तर देते हैं. मगर, इस बार वह अपने भक्तों पर नाराजगी जताते हुए दिखे. उन्होंने सत्संग के बीच ताली बजाने पर गुस्सा जाहिर किया. आइए जानते हैं पूरा मामला…

दरअसल, प्रेमानंद महाराज सत्संग कर रहे थे. तभी बीच बीच में भक्त तालियां बजा रहे थे. इस पर संत गुस्सा हो गए और उन्होंने कहा कि आजकल पता नहीं कौन सा है ये रिवाज चल गया है की जहां सत्संग हुआ वहां तालियां बजने लगी. मतलब तुम्हारे सत्संग का मजाक उड़ाया जा रहा है. अगर सत्संग चल रहा है तो गंभीर होना जाना चाहिए.


उन्होंने आगे कहा कि सत्संग सुनने के बाद एकाग्रता और उदासीनता बढ़ती है. चिंता बढ़नी चाहिए. ये ताली बजाने की क्या जरूरत है? सत्संग में भागवत महापुरुषों के बीच में जब चर्चा हो रही है तो ये ताली कैसे कोई बजा सकता है? कोई नेता का भाषण हो रहा है क्या? नेता के भाषण में बजाओ. अब वो साधु बोल रहा है अपना अनुभव आपको सुना रहा है तो तालिया बजाने का मतलब क्या है? तालियां नहीं बजाओ, उदास हो जाओ कि ये जो कह रहे हैं मेरे जीवन में कब आएगा. मैं अपनी कामनाओं को कब समेट पाऊंगा? मैं अपनी गलतियों को कब सही कर पाऊंगा

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