भीलवाड़ा में गरबा महोत्सव में कड़ा पहरा,: तिलक व आधार कार्ड से ही प्रवेश शराबियों और लव जिहाद पर रोक

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भीलवाड़ा (प्रहलाद तेली)।

नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होते ही भीलवाड़ा के गरबा पंडालों में इस बार माहौल बिल्कुल अलग नजर आ रहा है। हिंदू परंपरा और मर्यादा की रक्षा के लिए बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और अन्य संगठनों ने सख्त नियम लागू कर दिए हैं। अब गरबा महोत्सव में वही प्रवेश पा सकेगा, जो तिलकधारी होगा और आधार कार्ड दिखाएगा। यही नहीं, शराब पीकर आने वालों और दूसरे धर्म के लोगों के प्रवेश पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।

गरबा पंडालों में रविवार रात से ही यह नया नियम लागू किया गया। प्रवेश द्वार पर शक्ति भारती की महिलाएं और कार्यकर्ता मौजूद रहे, जिन्होंने गंगाजल से तिलक लगाया और आधार कार्ड देखकर पहचान सुनिश्चित की। इस व्यवस्था का सीधा उद्देश्य, आयोजकों के अनुसार, हिंदू परंपरा को सुरक्षित करना और लव जिहाद जैसी गतिविधियों पर लगाम लगाना है।

जींस-शर्ट पहनकर आने वाली महिलाओं को रोक

बजरंग दल के जिला संयोजक सुरेश शर्मा ने बताया कि गरबा महोत्सव में महिलाएं परंपरागत वेशभूषा में ही शामिल होंगी। जींस और शर्ट पहनकर आने वाली युवतियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। उन्हें पहले ही स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि यदि गरबा करना है, तो भारतीय संस्कृति के अनुरूप परिधान पहनकर ही आना होगा। शर्मा ने कहा कि गरबा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि शक्ति की उपासना है। ऐसे में इसमें अश्लीलता और आधुनिक फैशन की कोई जगह नहीं है।

शराबियों और संदिग्धों पर कड़ी नजर

संगठनों ने साफ किया है कि जो भी व्यक्ति नशे की हालत में पंडाल तक पहुंचेगा, उसे तुरंत बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। कई जगह शराबियों को लौटा भी दिया गया। यही नहीं, पंडालों में जगह-जगह पोस्टर और बैनर लगा दिए गए हैं, जिन पर साफ लिखा है – “तिलक व आधार कार्ड अनिवार्य, शराबियों और संदिग्ध व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित।”





फोन से रिकॉर्डिंग पर भी रोक

गरबा पंडालों में इस बार एक और बड़ा निर्णय लिया गया है। आयोजक अरविंद ने बताया कि किसी भी प्रकार की वीडियो रिकॉर्डिंग या मोबाइल से फोटो खींचना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। इसका कारण बताया गया कि कई बार रिकॉर्डिंग का गलत इस्तेमाल होता है, जिससे समाज में गलत संदेश फैलता है।

हिंदू समाज की एकता का संदेश

बजरंग दल, विहिप और अन्य संगठनों की पहल के बाद इस बार गरबा महोत्सव में खासा उत्साह देखने को मिला। अधिकांश युवाओं और परिवारों के ललाट पर तिलक चमकता नजर आया। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में गरबा करती हुई दिखाई दीं। पंडालों में जगह-जगह धर्म रक्षा और हिंदू एकता के संदेश लिखे बैनर लोगों का ध्यान खींच रहे थे।

आयोजकों का कहना है कि यह कदम सिर्फ एक धार्मिक आयोजन को पवित्र बनाए रखने का नहीं, बल्कि हिंदू समाज को जागरूक और संगठित करने का प्रयास है। उनका दावा है कि इन व्यवस्थाओं से गरबा महोत्सव का माहौल और भी श्रद्धामय बना है।

भीलवाड़ा में नवरात्रि के पहले दिन से ही यह सख्त व्यवस्था लागू होते देखना, आमजन के लिए भी नया अनुभव रहा। लोग इसे हिंदू गौरव से जोड़कर देख रहे हैं।


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