सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, पूरी होगी मनचाही मुराद

सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ शिव योग का हो रहा है निर्माण, पूरी होगी मनचाही मुराद
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ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 02 सितंबर को सोमवती अमावस्या है। इस दिन साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। इसके साथ ही देवों के देव महादेव की पूजा (Somvati Amavasya Puja Vidhi) करते हैं। इस शुभ तिथि पर पितरों का भी तर्पण किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ शिव योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में स्नान-ध्यान और भगवान शिव की उपासना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं-


शिव योग

ज्योतिषियों की मानें तो सोमवती अमावस्या पर शिव योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मनचाही मुराद पूरी होती है। इस शुभ मुहूर्त में पितरों का तर्पण करने से साधक को पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोमवती अमावस्या पर शिव योग का संयोग संध्याकाल 06 बजकर 20 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान कर सकते हैं।

सिद्धि योग

सोमवती अमावस्या पर शिव योग के बाद सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में कार्य करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही कार्य में सिद्धि मिलती है। ज्योतिष सिद्धि योग को शुभ मानते हैं। इस योग में पूजा, जप-तप और दान-पुण्य कर सकते हैं। इस योग का निर्माण संध्याकाल 06 बजकर 21 मिनट से हो रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है।

शिववास योग (Shiv Vaas Yog)

सोमवती अमावस्या पर अति दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दिन भर है। भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि पर देवों के देव महादेव कैलाश पर ध्यान मुद्रा में विराजमान रहेंगे। इससे समस्त लोकों का कल्याण होगा।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजे...

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 15 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक

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