नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले जान लें सही नियम, मिलेंगे ढेरों लाभ
नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्रि साल में चार बार मनाई जाती है जिसमें से दो प्रत्यक्ष और दो बार गुप्त नवरात्रि होती है. नौ दिन के इस त्योहार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. मान्यता है कि इस पाठ को करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्द पूरी होती है, साथ ही व्यक्ति को मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, इसलिए दुर्गा सप्तशती पाठ करने से पहले गणेश जी का ध्यान करें.
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले एक साफ-सुधरे लाल रंग के कपड़े पर बिछा लें और उसपर श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को उसपर रख दें.
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले नवार्ण मंत्र, कवच, इसके बाद कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इसके बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ का आरंभ करना चाहिए.
नवरात्रि के पहले दिन से दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करें. एक दिन में या फिर नौ दिनों में पूरे 13 अध्याय का पाठ पूर्ण करें.
पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का पाठ करना अनिवार्य है. इस एक मंत्र में ओंकार, सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां काली के बीज मंत्र निहित हैं.
यदि आप पूरे 9 दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं तो पाठ के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें. पाठ में किसी तरह की जल्दबाजी या बातचीत न करें. पाठ लय में होना चाहिए और दुर्गा
सप्तशती का पाठ करने वाले को मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
दुर्गा सप्तशती पाठ के लाभ
दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय होते हैं. इस सभी अध्याय का अपना एक अलग महत्व होता है. इन सभी पाठों को करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं.
पहला अध्याय- पहले अध्याय का पाठ करने पर मां दुर्गा की कृपा से साधक के सभी मानसिक कष्ट दूर होते हैं और वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है.
दूसरा अध्याय- दूसरे अध्याय का पाठ करने से साधक को भूमि-भवन से जुड़े मामलों में सफलता प्राप्त होती है. भगवती की कृपा से कोर्ट-कचहरी में चल रहे मुकदमे में उसे राहत मिलती है.
तीसरा अध्याय- दुर्गा सप्तशती का तीसरा अध्याय का पाठ करने पर साधक का जाने-अनजाने शत्रुओं से छुटकारा मिलता है. जीवन से जुड़े तमाम तरह के विवाद दूर होते हैं.
चौथा अध्याय- भक्ति, शक्ति तथा मां दुर्गा के दर्शन का सौभाग्य पाने के लिए दुर्गा सप्तशती का चतुर्थ अध्याय पढ़ना उपयुक्त है.
पांचवा अध्याय- चारों ओर से निराशा का सामना करना पड़ रहा हो. आर्थिक, भौतिक और आध्यात्मिक सुख की कमी हो तो दुर्गा सप्तशती का पंचम अध्याय लाभ देगा.
छठा अध्याय- अगर मन हमेशा परेशान रहता है और आपके काम में अक्सर कोई न कोई अड़ंगा आ जाता है तो ऐसी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए साधक को दुर्गा सप्तशती के छठवें अध्याय का पाठ करना चाहिए.
सातवां अध्याय- सातवें अध्याय का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
आठवां अध्याय- आठवें अध्याय का पाठ करने से राह भटक गया व्यक्ति शीघ्र ही सीधे रास्ते पर लौट आता है और वह स्वयं से जुड़ी भलाई की बात को समझने और जानने लगता है.
नौवां अध्याय- संतान सुख और बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए दुर्गा सप्तशती का नवम अध्याय पढ़ें.
दसवां अध्याय- दसवें अध्याय का पाठ करने पर नौवें अध्याय के समान ही फल प्राप्त होता है.
ग्यारहवां अध्याय- बिजनेस में मेहनत के बाद भी नुकसान हो रहा है, पैसा और समय दोनों की बर्बादी हो रही है तो नवरात्रि में ये पाठ करें.
बारहवां अध्याय-मान्यता के अनुसार नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय का पाठ करने पर व्यक्ति झूठे आरोपों से पाक-साफ होकर बच जाता है और उसका समाज में मान-सम्मान बढ़ सकता है.
त्रयोदश अध्याय- तेरहवें अध्याय का पाठ विशेष रूप से मोक्ष और भक्ति के लिए किया जाता है.