गिरिराज जी की कृपा चाहते हैं तो सेवा रूपी धर्म से जुड़े -आचार्य शक्ति देव

गिरिराज जी की कृपा चाहते हैं तो सेवा रूपी धर्म से जुड़े -आचार्य शक्ति देव
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भीलवाड़ा (हलचल)

शिवाजी पार्क में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के पंचम दिवस में आज आचार्य श्री शक्तिदेव महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बड़ी ही मनोहर बाल लीलाएं श्रवण कराई वृंदावन के महत्व को बताते हुए महाराज श्री ने कहा की वृंदावन की रचना ब्रह्मा जी ने नहीं की वृंदावन कोई भूमि का साधारण टुकड़ा नहीं है यह स्वयं राधा रानी गोलोक धाम से वृंदावन को पृथ्वी पर लेकर के आई हैं गोलोक धाम से पृथ्वी पर जब राधा रानी आई तो अपने साथ तीन वस्तुएं लेकर के आई श्री यमुना महारानी, दूसरे श्री गिर्राज पर्वत और तीसरा है राधा रानी का अति प्रिय श्री धाम वृंदावन वृंदावन के कण कण में राधा रानी का वास है राधा कोई साधारण नाम नहीं है संपूर्ण संसार का आधार शक्ति ही राधा है हम सभी धरती पर केंद्रित हैं हम सब का आधारभूत जो शक्ति है उसका नाम है धरा, लेकिन पृथ्वी का भी कोई आधार है पृथ्वी का आधार जल इसी प्रकार जब हम आधारों का आधार ढूंढते जाएंगे ढूंढते जाएंगे तो कहीं तो आखिर में जाकर रुकना पड़ेगा कि अब सबका आधार यही है और वह है श्री राधा, जब हम निरंतर आधार आधार आधार ऐसा कहते रहेंगे तो अपने आप ही राधा राधा निकलने लगेगा क्योंकि संपूर्ण आधारों का आधार ही श्री राधा है कृष्ण का भी आधार श्री राधा हैं जीवन का भी आधार श्री राधा है इसलिए अगर अपना कल्याण चाहते हो तो श्री राधा रानी की शरण में आना पड़ेगा राधा का जो महत्व है बड़ा अलौकिक है इसको शब्दों में बखान करना इतना आसान नहीं है कथा के अंत में श्री गिरिराज पूजन हुआ

तथा मीडिया प्रभारी महावीर समदानी ने जानकारी देते हुए बताएं कि गोवर्धन पूजा का महत्व बताते हुए महाराज श्री ने बताया की गोवर्धन का मतलब होता है गो शब्द के कई अर्थ है गो यानी ज्ञान गो यानी गाय गो यानी इंद्रियां गो यानी भक्त गो यानी प्रकृति

वर्धन यानी बढ़ाना या बढ़ावा देना अपने जीवन में इन सबको बढ़ावा दें इंद्रियों को बढ़ावा दें ठाकुर जी की सेवा में समाज सेवा में, गाय को बढ़ावा दें अपने हृदय में ज्ञान को बढ़ाएं अपने हृदय में भक्ति को बढ़ाएं और प्रकृति को बढ़ावा दें प्रकृति की रक्षा करें प्रकृति में जितने भी जीव जंतु हैं पशु पक्षी हैं उनके हितार्थ भी कुछ सेवा करें गर्मी का मौसम है पक्षियों के लिए जगह-जगह जल की व्यवस्था करें अन्न की व्यवस्था करें ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाए प्रकृति को नुकसान ना पहुंचाएं यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके जीवन के बड़े-बड़े संकट अपने आप कट जाएंगे और यही वास्तविक गोवर्धन पूजा है अगर आप इन सेवाओं को नहीं करते तो ब्रजमंडल में जाकर के कितनी भी गिरिराज जी की परिक्रमा करते रहो कोई फल मिलने वाला नहीं है इसलिए यदि गिरिराज जी की कृपा चाहते हो तो इन सभी सेवाओं से जुड़े रहें और सेवा ही जीवन का मूल धर्म है

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