पहाड़ी पर स्थित है राधा रानी का ये मनमोहक मंदिर, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य
सनातन धर्म में राधा अष्टमी के पर्व का विशेष महत्व है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन राधा रानी की पूजा-अर्चना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस खास अवसर के लिए देश-विदेश के राधा रानी के मंदिरों को सजाया जाता है और मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है।
अगर आप इस शुभ असवर पर राधा रानी के मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आप राधा रानी के मंदिरजरूर जाएं। जो उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना में स्थित है। मंदिर राधा रानी को समर्पित है। इसे राधा रानी का महल के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में।
राधा रानी मंदिर का इतिहास
इस मंदिर में राधा रानी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को 250 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यह मंदिर पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है। मंदिर का निर्माण लगभग 500 वर्ष पहले ओरछा नरेश ने कराया था। मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना है और मंदिर में स्तंभ हैं। इसमें मुगल काल की संरचना देखने को मिलती है।
बहुत महत्वपूर्ण है मंदिर
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद 15 दिन बाद भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा रानी का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इसी वजह से राधा रानी के भक्तों के लिए यह मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण है।
राधा रानी मंदिर टाइमिंग
राधा रानी मंदिर सुबह 05 बजे खुलता है और दोपहर में 02 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। वहीं, संध्याकाल में 05 बजे मंदिर के कपाट दर्शनों के लिए खोल दिए जाते हैं और 09 बजे मंदिर बंद होता है।
कैसे पहुंचे राधा रानी मंदिर?
अगर आप राधा रानी के मंदिर जाना जाते हैं, तो यह मंदिर दिल्ली-आगरा राजमार्ग पर स्थित कोसीकलां से 7 किमी दूर है। वहीं, मथुरा से 50 किमी की दूरी पर है। यहां मंदिर तक बस, कार या टैक्सी की मदद से आसानी से पहुंच सकते हैं।
इसके अलावा भारतीय रेलवे का भी ऑप्शन है। इस मंदिर के पास कोसीकलां रेलवे स्टेशन है। यहां पहुंचने के बाद मंदिर तक बस और कार के द्वारा जा सकते हैं।