आज है पितृ पक्ष का दूसरा श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि

आज है पितृ पक्ष का दूसरा श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि
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तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष की द्वितीया तिथि आरंभ: 19 सितंबर, 04 बजकर 19 मिनट पर

पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष की द्वितीया तिथि समाप्त: 20 सिंतबर, रात्रि 12 बजकर 39 मिनट पर

कुतुप मूहूर्त: प्रातः 11:50 मिनट से दोपहर 12:39 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में श्राद्ध के लिए केवल 49 मिनट का समय मिलेगा।

रौहिण मूहूर्त: दोपहर 12: 39 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में श्राद्ध-तर्पण के लिए भी 49 मिनट का समय मिलेगा।

अपराह्न काल का मुहूर्त: दोपहर 01: 28 मिनट से 03: 54 मिनट तक रहेगा।

इस मुहूर्त में पितरों के श्राद्ध के लिए कुल 2 घण्टे 27 मिनट का समय मिलेगा।

वृद्धि योग का भी निर्माण

पितृ पक्ष के दूसरे दिन वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग का समापन संध्याकाल 07 बजकर 19 मिनट पर होगा। इसके बाद ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग सुबह 08 बजकर 04 मिनट से हो रहा है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन 20 सितंबर को सुबह 06 बजकर 09 मिनट पर होगा। अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर तैतिल और गर करण के योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों का तर्पण कर सकते हैं।

कैसे करें द्वितीया श्राद्ध कर्म

पितृ पक्ष के दूसरे दिन घर के मुख्य द्वार पर फूल आदि रखकर पितरों का आह्वान करें।

सबसे पहले हम कौवा, कुत्ता और गाय ग्रास निकालते हैं, जो यम का प्रतीक हैं।

एक पात्र में दूध, जल, तिल और फूल रखें।

तीन बार कुश और काले तिल से तर्पण करें।

ब्राह्मणों को वस्त्र, फल, मिठाई आदि दान करें।

जिन लोगों को ब्राह्मण नहीं मिले वे मंदिर में भोजन आदि वितरित कर सकते हैं।

कौन कर सकता है श्राद्ध

पितृ पक्ष के इन दिनों में पितरों को भोजन, फल, मिठाई आदि का दान करना पसंद होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध तीन पीढ़ियों तक किया जा सकता है और इसका अधिकार पुत्र, पौत्र, भतीजी और भतीजे को होता है। इस बार किसी तिथि का क्षय नहीं है। अत: पूरे सोलह दिन तर्पण किया जा सकता है। इन दिनों पितर अपने रिश्तेदारों के घर आते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।

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