शनिवार को इन मंत्रों का जाप करें, शनिदेव होंगे प्रसन्न; खुलेंगे किस्मत के द्वार

वैदिक पंचांग के अनुसार, 20 सितंबर शनिवार को आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है और धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा और मंत्रों का जाप करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, साथ ही करियर और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
शनिदेव की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि शनिदेव की भक्ति करने वाले साधक के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। शनिवार के दिन की गई पूजा और मंत्र जाप से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली कठिनाइयों, विघ्न और बाधाओं का नाश होता है। करियर और व्यवसाय में वृद्धि, धन-संपत्ति में वृद्धि और परिवार में सुख-शांति के लिए यह पूजा विशेष लाभकारी मानी जाती है।
शनिवार को किए जाने वाले विशेष मंत्र
शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए। इनमें प्रमुख हैं:
मुख्य शनि मंत्र:**
1. ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
2. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
3. ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
4. अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
**दशरथकृत शनि स्तोत्र:**
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥
(इस स्तोत्र में शनिदेव की महिमा, उनके वरदान और साधकों पर उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।)
**शनैश्चर स्तोत्र:**
कोणोऽन्तको रौद्रयमोऽथ बभ्रुः कृष्णः शनिः पिंगलमन्दसौरिः।
नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥
इन मंत्रों का नियमित जाप करने से माना जाता है कि शनिदेव की कृपा बनी रहती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
जाप और पूजा के नियम
* प्रातःकाल उठकर साफ़ स्थान पर पूजा करें।
* श्रद्धा और भक्ति भाव से मंत्रों का उच्चारण करें।
* शनिवार को तर्पण और दान करने से पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
* विशेष रूप से शन्यष्टक और दशरथ स्तोत्र का नियमित पाठ कर स्वास्थ्य, संपत्ति और करियर में लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
श्रद्धालुओं के लिए संदेश
जो भी भक्त शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, वे शनिवार के दिन इन मंत्रों का जाप और पूजा विधिपूर्वक करें। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव, करियर और व्यवसाय में सफलता और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
**विशेष चेतावनी:** श्रद्धा और भक्ति के बिना मंत्रों का उच्चारण केवल शब्दों का उच्चारण भर रहेगा। इसलिए पूजा और मंत्र जाप में पूर्ण समर्पण और मन की शांति बनाए रखें।
