उत्तम सत्य धर्म पर प्रवचन: सत्य की भाषा मधुर, असत्य करता है संताप

भीलवाड़ा। सत्य की भाषा मधुर, सबको प्रीति देने वाली होती है, जबकि असत्य निष्ठुर होता है और लोगों को संताप देता है। भय, डराना-धमकाना और क्रोध उत्पन्न करने वाली भाषा भी असत्य की श्रेणी में आती है। शब्दों के पास हाथ, पैर या दांत नहीं होते, लेकिन इनके द्वारा दिए गए घाव अत्यंत गहरे होते हैं।
यह विचार पण्डित राहुल जैन शास्त्री सागर वालों ने दस लक्षण धर्म पर्व के पांचवें दिन ‘उत्तम सत्य धर्म’ विषय पर प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सत्य सुनना आसान नहीं होता, लेकिन यदि व्यक्ति उसे सुन ले तो उसका जीवन परिवर्तित हो सकता है।
श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश गोधा ने जानकारी दी कि ओमचन्द रिखबचन्द बाकलीवाल परिवार द्वारा आदिनाथ भगवान की मूलनायक प्रतिमा पर 108 रिद्धि मंत्रों के साथ अभिषेक और स्वर्ण झारी से शांतिधारा की गई।
इसके अतिरिक्त ललित शाह ने शांतिनाथ भगवान पर शांतिधारा की। वहीं राकेश रिषभ पहाड़िया, अनिल अक्षत गंगवाल, बंसतीलाल अभिषेक काला, सनत निसर्ग अजमेरा, महावीर झांझरी, नरेश गंगवाल, डॉ. अभिषेक, कैलाश सोनी एवं जे. पी. अग्रवाल सहित अन्य श्रद्धालुओं ने विभिन्न भगवानों की प्रतिमाओं पर शांतिधारा कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
दस लक्षण पर्व के अंतर्गत आयोजित सामूहिक पूजन में श्रद्धालुओं ने उत्तम सत्य धर्म की पूजा अर्चना की और धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत वातावरण में सहभागी बने।
