16 दिसंबर से आरंभ होगा खरमास: इस पावन अवधि का धार्मिक महत्व और आचरण के नियम

16 दिसंबर से आरंभ होगा खरमास: इस पावन अवधि का धार्मिक महत्व और आचरण के नियम
X

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष खरमास का आरंभ 16 दिसंबर 2025, मंगलवार को दिन में 01:24 बजे से होगा। महावीर और अन्नपूर्णा पंचांग के मुताबिक इसी समय सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है। सूर्य के इस गोचर के साथ ही खरमास की अवधि शुरू हो जाती है, जो 14 जनवरी तक रहती है। इस दौरान पारंपरिक रूप से मांगलिक आयोजनों पर विराम लग जाता है, जिससे विवाह और गृह प्रवेश जैसे कार्य इस अवधि में नहीं किए जाते। खरमास का धार्मिक और शास्त्रीय महत्व

शास्त्रों में खरमास को आत्मशुद्धि और पुण्य संचय का विशेष समय माना गया है। मान्यता है कि इस काल में किए गए धार्मिक कर्म सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फल प्रदान करते हैं। हालांकि इस अवधि में शुभ संस्कारों पर रोक रहती है, लेकिन पूजा-पाठ, जप, ध्यान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान पूरी तरह स्वीकार्य माने जाते हैं। यही कारण है कि श्रद्धालु इस महीने को संयम और साधना के रूप में देखते हैं।

पूजा-पाठ और धार्मिक आचरण

खरमास के दौरान भगवान विष्णु और सूर्य देव की उपासना को विशेष महत्व दिया गया है। प्रतिदिन नियमपूर्वक पूजा, जप और आराधना करने से मानसिक शांति और सकारात्मकता का अनुभव होता है। तुलसी की सेवा को भी इस अवधि में अत्यंत पुण्यदायी माना गया है, क्योंकि इसे घर में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ा जाता है।

दान, संयम और सात्विक जीवनशैली

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास का समय दान और सेवा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दौरान जरूरतमंदों की सहायता करना, अन्न और वस्त्र का दान देना पुण्यकारी समझा जाता है। साथ ही, इस माह में सात्विक भोजन और संयमित जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया गया है, ताकि शरीर और मन दोनों शुद्ध बने रहें।

क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य

खरमास की अवधि में सूर्य देव को कमजोर अवस्था में माना जाता है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ संस्कारों को इस समय टाल दिया जाता है। यही वजह है कि इस पूरे महीने सामाजिक आयोजनों में शहनाइयों की गूंज सुनाई नहीं देती। इसके बावजूद यह काल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और श्रद्धालु इसे साधना और पुण्य अर्जन के अवसर के रूप में देखते हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पंचांगों पर आधारित है। इसकी पूर्ण सत्यता और प्रभाव के लिए संबंधित विषय के जानकार या विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित माना जाता है।

Next Story