श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है महानवमी पर्व , मां सिद्धिदात्री को चढ़ाएं नारियल का हलवा

श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है महानवमी  पर्व , मां सिद्धिदात्री को चढ़ाएं नारियल का हलवा
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भीलवाड़ा, आज नवरात्रि का अंतिम दिन, महानवमी, पूरे जिले में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर मां दुर्गा के नौवें स्वरूप, मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जा रही है। मां सिद्धिदात्री को सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी माना जाता है, और भक्त उनकी कृपा पाने के लिए विशेष भोग और पूजा कर रहे हैं। इस बार, पंडितों ने सुझाव दिया है कि मां को नारियल के हलवे का भोग लगाना विशेष फलदायी होगा।

मां सिद्धिदात्री का महत्व

मां सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। मान्यता है कि ये सभी सिद्धियों और आध्यात्मिक शक्तियों की दात्री हैं। इनकी कृपा से भक्तों को ज्ञान, वैभव और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित विक्रम सोनी ने बताया, "मां सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। नारियल का हलवा मां को अति प्रिय है, और इसे भोग में चढ़ाने से सुख-समृद्धि मिलती है।"

नारियल के हलवे का भोग: विधि

महानवमी पर मां सिद्धिदात्री को नारियल का हलवा चढ़ाने की परंपरा रही है। इसे बनाने और भोग लगाने की सरल विधि इस प्रकार है:

सामग्री:

ताजा नारियल (कद्दूकस किया हुआ) - 1 कप

चीनी - आधा कप

घी - 2 बड़े चम्मच

दूध - 1 कप

इलायची पाउडर - आधा चम्मच

काजू और बादाम (बारीक कटे हुए) - 2-3 चम्मच

केसर (वैकल्पिक) - कुछ धागे

बनाने की विधि:

एक कड़ाही में घी गर्म करें और कद्दूकस किया हुआ नारियल भूनें, जब तक कि हल्का सुनहरा न हो जाए।

इसमें दूध डालें और मध्यम आंच पर पकाएं, जब तक नारियल दूध सोख न ले।

चीनी डालें और अच्छे से मिलाएं। मिश्रण को तब तक पकाएं जब तक यह गाढ़ा न हो जाए।

इलायची पाउडर और कटे हुए मेवे डालकर मिलाएं। केसर डाल सकते हैं।

हलवे को ठंडा होने दें और एक साफ थाली में निकालकर मां सिद्धिदात्री को भोग लगाएं।

भोग लगाने की विधि:

मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।

हलवे को एक साफ पात्र में रखें और मां को अर्पित करें।

मां का ध्यान करते हुए मंत्र जपें:

"ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः"

या

"सिद्ध गंधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।"

भोग के बाद प्रसाद को परिवार और भक्तों में वितरित करें।

पूजा का शुभ मुहूर्त

पंडितों के अनुसार, आज महानवमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 बजे से 8:30 बजे तक और दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक है। इस दौरान मां की पूजा, हवन और कन्या पूजन करना विशेष फलदायी माना जाता है।

जिले में उत्साह का माहौल

भीलवाड़ा में महानवमी को लेकर मंदिरों और घरों में विशेष तैयारियां की गई हैं। प्रमुख मंदिरों जैसे तिलक स्वामी मंदिर, सांवरिया सेठ मंदिर और शक्ति माता मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। कन्या पूजन का आयोजन भी जोर-शोर से हो रहा है, जिसमें 9 कन्याओं को भोजन कराया जा रहा है।

स्थानीय निवासी शांति देवी ने बताया, "हम हर साल मां को नारियल का हलवा चढ़ाते हैं। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।" वहीं, युवा भक्त राहुल शर्मा ने कहा, "महानवमी का दिन बहुत खास है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से सभी कार्य सिद्ध होते हैं।"

प्रशासन की व्यवस्था

जिला प्रशासन ने मंदिरों के आसपास सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को मजबूत किया है। मेलों और जुलूसों के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। भक्तों से अपील की गई है कि वे शांति बनाए रखें और मंदिरों में भीड़ के दौरान सावधानी बरतें।

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