राष्ट्रसंत पुलक सागर के सानिध्य में आयोजित हुआ सैकड़ों तपस्वियों का महापारणा

- पांच एवं दस उपवास की साधना हुई सम्पन्न
-सामूहिक क्षमायाचना पर्व भी मनाया
उदयपुर । राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर ससंघ का चातुर्मास सर्वऋतु विलास मंदिर में बड़ी धूमधाम से आयोजित हो रहा है । इसी श्रृंखला में रविवार को दशलक्षण महापर्व की सम्पन्नता के बाद सभी सैकड़ों तपस्वियों का आचार्य पुलक सागर की निश्रा में महापारणा का आयोजन हुआ। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फांदोत ने बताया कि महापारणे में राजा श्रेयांश बनकर प्रथम पारणा कराने का सौभाग्य गेंदालाल फान्दोत परिवार को प्राप्त हुआ। फान्दोत ने बताया कि सभी तपस्वियों को अपने-अपने परिवारजनों द्वारा स्वर्ण थाल में पारणा कराया गया। नगर निगम प्रांगण के धर्म सभा पंडाल में जब आचार्य पुलक सागर महाराज का पदार्पण हुआ तब पुरा पंडाल आचार्य संघ के जयकारों से गूंज उठा। उसके पश्चात आचार्य सभी तपस्वियों को मंत्रोच्चारण के साथ पारणा की विधि सम्पन्न करवाई। उसके बाद पंडाल में मौजूद सभी श्रावक-श्राविकाओं ने आपस में एक-दूजे से वर्ष पर्यन्त में जाने-अनजाने में हुई गलतियों पर क्षमा याचना मांगी।
महामंत्री प्रकाश सिंघवी एवं प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि आचार्य पुलक सागर महाराज ने पारणा महोत्सव के तहत कहा कि पारणा का मतलब है उपवास या आयम्बिल आदि धार्मिक व्रत के बाद का आहार होता है। यानी जब साधक या श्रावक उपवास, आयम्बिल या अन्य तपरूपी साधना पूरी करता है, तो अगले दिन नियमपूर्वक प्रथम बार जो आहार लिया जाता है, उसे पारणा कहते हैं। पारणा हमेशा शुभ समय देखकर किया जाता है इसे बिना राग-द्वेष के, पवित्र भाव से ग्रहण करना चाहिए। उपवास/तप की पूर्णता के बाद पारणा करना अनिवार्य माना गया है। पारणा प्राय: फल, खीर, दूध या सात्विक आहार से कराया गया।
चातुर्मास समिति के मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि रविवार प्रात: सभी तपस्वियों का महापारणा सम्पन्न होगा । कार्यक्रम में विनोद फान्दोत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, सेठ शांतिलाल नागदा सहित सम्पूर्ण उदयपुर संभाग से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
