घट्टारानी माता मंदिर में नवरात्र का समापन कल, हवन और कलश उद्घाटन के साथ

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भीलवाड़ा जिले के पुर उपनगर में पहाड़ी पर स्थित आदिशक्ति घट्टारानी माताजी मंदिर में शारदीय नवरात्र का उत्सव पूरे उत्साह के साथ अपने चरम पर पहुंच चुका है। माता को "पानी देने वाली" और "रोग मुक्त करने वाली" शक्ति के रूप में पूजने वाले भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ रही है। नवरात्र स्थापना से शुरू हुए विशेष अनुष्ठान कल, 1 अक्टूबर 2025 को अभिजीत मुहूर्त में हवन और कलश उद्घाटन के साथ समापन की ओर बढ़ रहे हैं।




मंदिर समिति अध्यक्ष लादूलाल जाट ने बताया, "नवरात्र के दौरान मंदिर में भक्तों का अपार उत्साह देखने को मिल रहा है। रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु माता के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं।" पुजारी प्रभुलाल माली ने कहा कि मंदिर में समयबद्ध पूजा और आरती का आयोजन होता है, जिसमें पंडित अशोक शर्मा और श्यामलाल शर्मा अनुष्ठान का संचालन कर रहे हैं। मंदिर परिसर फूलों, दीपों और रंग-बिरंगे झंडों से सजा हुआ है, जो भक्ति और उत्सव का माहौल रच रहा है।

सभा मंडप निर्माण: सामुदायिक सहयोग से प्रगति

मंदिर में चल रहे सभा मंडप निर्माण कार्य ने भी ग्रामीणों की एकजुटता को दर्शाया है। प्रेम शंकर व्यास ने बताया कि 2.5 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बन रहे इस मंडप का निर्माण ग्रामवासियों के सहयोग से तेजी से आगे बढ़ रहा है। कोषाध्यक्ष कैलाशचंद्र सायला ने कहा, "यह कार्य जल्द ही पूर्णता की ओर है, और यह भक्तों के लिए एक भव्य और सुविधाजनक स्थान प्रदान करेगा।"




घट्टारानी माता का महत्व

घट्टारानी माताजी को माँ दुर्गा का शक्तिशाली स्वरूप माना जाता है, जो सुख-समृद्धि और रोग निवारण की देवी हैं। पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनूठा संगम है। नवरात्र के दौरान यहां की शक्ति विशेष रूप से जागृत मानी जाती है, जिससे दूर-दूर से भक्त आकर्षित होते हैं।

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