11 नवम्बर को होगी आदिनाथ भगवान के पगलिया की प्राण प्रतिष्ठा

उदयपुर,। तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में कलापूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को पालीताणा तीर्थ की तर्ज पर उदयपुर आयड़ तीर्थ में भी रायण पगलिया डेहरी पूजन कार्यक्रम धूमधाम से आयोजित किया गया। विधि विधान से विधि कारक निलेश भाई बड़ौदा वाले ने स्नात्र पूजा, अष्ट मंगल पूजन, नवग्रह पाटला पूजन करवाकर नींव खुदाई की गई। जिसका 11 नवम्बर सुबह ब्रह्म मुर्हूत में रायण पगलिया का पेड़ लगाया जाएगा। जिसके नीचे आदिनाथ भगवान के पगलिया की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। देहरी का लाभ रमेश-विद्या, दीपक- शशि व भव्य सिरायो परिवार को मिला। नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ में 25 अक्टूबर को सुबह 9 बजे लाभ व ज्ञान पंचमी के अवसर पर ज्ञान की आराधना की जाएगी।
आयड़ तीर्थ पर धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने कहा कि हम राग और द्वेष युक्त है। भगवान की वाणी और संतों की वाणी हमें राग और द्वेष से मुक्त करती है। जो राग और द्वेष में उलझे वो इंसान हो या कोई भी उन्हें कर्म फल भुगतने पड़े है। आत्म शुद्धि का मार्ग है धर्म। धर्म के मर्म को समझने की जरूरत है। राग और द्वेष से ही काम-क्रोध की उत्पत्ति होती है जो समस्त पापों के मूल है। कामना बड़े से बड़े समृद्धिमान वैभवशाली पुरूष को भी दीन बना देती है, इसलिए इन काम-क्रोध के मूल राग-द्वेष का त्याग करो।
