वाद और स्वाद ही सभी समस्या के कारण है : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज

वाद और स्वाद ही सभी समस्या के कारण है : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज
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उदयपुर, : मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बड़े हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।

आराधना में महाराज ने कहा कि युद्ध के मैदान में शस्त्रों से शत्रु पर विजय पाना आसान है, लेकिन अपने आप पर विजय प्राप्त करना अत्यंत कठिन है। उन्होंने बताया कि पांच इन्द्रियों में सबसे प्रबल रसनेन्द्रिय (जीभ) है, जिस पर विजय पाना बहुत मुश्किल है।

महाराज ने स्पष्ट किया कि वाद (बोलना) और स्वाद (भोजन) ही दुनिया की सभी समस्याओं का मूल कारण हैं। उन्होंने कहा कि बोलने में मर्यादा तोड़ने से झगड़े और कलह पैदा होते हैं, जबकि भोजन में असावधानी से शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वकील, अस्पताल और डॉक्टरों के व्यवसाय में तेजी का कारण भी अक्सर जीभ की असावधानी है।

महाराज ने यह भी बताया कि सभी धर्मों में तप-त्याग और उपवास का महत्व बताया गया है। आहार के संयम और उपवास के माध्यम से आत्मा का परमात्मा के साथ संबंध मजबूत होता है। विशेष रूप से उपधान तप में पौषध व्रत और एकान्त उपवास के द्वारा नवकार महामंत्र आदि का गुरुमुख से पठन-पाठन का अधिकार प्राप्त किया जाता है।

कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि 28 सितंबर को प्रात: 9.15 बजे चातुर्मासिक आराधना का विदाई समारोह होगा और 2 अक्टूबर से महावीर विद्यालय, चित्रकूट नगर में उपधान तप का शुभारंभ किया जाएगा।

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