श्राद्ध पक्ष 17 सितम्बर से, देखे कौनसी तिथि कब
भीलवाड़ा। पितृ पक्ष 17 सितम्बर से प्रारम्भ हो रहे है। अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष विज्ञान शोध संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पंडित सीताराम त्रिपाठी शास्त्री ने बताया कि सनातन धर्म में 16 दिवसीय पितृ पक्ष का आध्यात्मिक सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। इन दिनों में पितरों को प्रसन्न और श्रद्धा और तर्पण करने का शास्त्रों में विधान है। पितृपक्ष में श्राद्ध पिंडदान तर्पण करने से पितर दोष से मुक्ति मिलती है।जिन दिवंगतों की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है उनका श्राद्ध अमावस्या सर्वपितृ अमावस्या को किया जाता है। प्रतिपदा तिथि का क्षय होने से पूर्णिमा का श्राद्ध एक दिन पहले रहेगा। षृष्टि सप्तमी का श्राद्ध एक ही दिन रहेगा।
पंडित त्रिपाठी ने बताया कि किसी व्यक्ति की मृत्यु प्रतिपदा को हुई है तो उसी तिथि पर श्रद्धा से याद किया जाना चाहिए। पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का नवमी पर किया जाना चाहिए। जिनकी मृत्यु दुर्घटना आत्मघात या अचानक हुई हो उनका चतुर्दशी का दिन नियत है। श्रद्धा कर्म पितरों की मृत्यु तिथि के अनुसारं करना शास्त्र सम्मत है।
त्रिपाठी ने बताया कि जो लोग गया व हरिद्वार ब्रह्ममकपाल नहीं जा सकते हैं वह गलता तीर्थ पुष्कर तीर्थ में पितृ तर्पण के साथ अन्य अनुष्ठान कर सकते हैं। श्राद्ध पक्ष में अन्न दान वस्त्र दान ब्राह्मणों को भोजन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध पक्ष में मांगलिक कार्य वर्जित रहेगा।
श्राद्ध की तिथियां -17 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध रहेगा, 18 को प्रतिपदा एकम, 19 को द्वितीय, 20 को तृतीय, 21 को चतुर्थी, 22 कोपंचमी, 23 को षष्ठी व सप्तमी का श्राद्ध रहेगा 24 को अष्टमी, 25 को नवमी, 26 को दशमी, 27 को एकादशी, तथा 29 को द्वादशी का श्राद्ध रहेगा 30 को त्रयोदशी तथा 1 अक्टूबर को चतुर्दशी का श्राद्ध तथा 2 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या रहेगी।