देवशयनी एकादशी से 118 दिन के विश्राम पर जाएंगे श्रीहरि, भोलेनाथ संभालेंगे सृष्टि का संचालन

6 जुलाई से देवशयनी एकादशी के साथ भगवान विष्णु चार माह के शयन में चले जाएंगे और सृष्टि के संचालन की ज़िम्मेदारी भगवान शिव को सौंप देंगे। यह समय चातुर्मास के रूप में जाना जाता है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी 2 नवंबर तक रहेगा। इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं और सनातन धर्म में यह समय पूजा-पाठ, ध्यान, तप और साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस दौरान देशभर के मठ-मंदिरों जैसे गीता भवन, विद्याधाम, अन्नपूर्णा मंदिर, हरिधाम, हंसदास मठ आदि में विशेष अनुष्ठान, कथा, प्रवचन व ध्यान-साधना आयोजित होंगे। देशभर से संत-महात्माओं का आगमन होगा और सनातन संस्कृति के पर्वों को विशेष श्रद्धा से मनाया जाएगा।चातुर्मास में प्रमुख तीज-त्योहारों की सूची:
गुरु पूर्णिमा: 10 जुलाई
रक्षाबंधन: 9 अगस्त
कृष्ण जन्माष्टमी: 15-16 अगस्त
गणेश चतुर्थी: 27 अगस्त
नवरात्रि: 22 सितंबर से
विजया दशमी: 2 अक्टूबर
दीपावली: 20 अक्टूबर
देवउठनी एकादशी: 2 नवंबर
सावन में होगी भोलेनाथ की विशेष आराधना
चातुर्मास के दौरान सावन मास की शुरुआत 10 जुलाई से होगी, जो 9 अगस्त तक चलेगा। सावन सोमवार इस बार 14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त को होंगे। इस दौरान शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और व्रत, जलाभिषेक एवं रुद्राभिषेक जैसे अनुष्ठानों का विशेष महत्व रहता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विशेष
ज्योतिर्विद देवेंद्र कुशवाह के अनुसार, चातुर्मास काल धार्मिक उन्नति, आत्मशुद्धि और साधना के लिए श्रेष्ठ समय है। मान्यता है कि राजा बलि को दिए वचन के कारण श्रीहरि विष्णु पाताल लोक में निवास करते हैं, और इस दौरान भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं।
इस बार देवगुरु बृहस्पति 11 जून को मिथुन राशि में अस्त हो चुके हैं, जिससे मांगलिक कार्यों पर पहले से ही रोक लग चुकी है। विवाह, गृहप्रवेश, उपनयन आदि कार्य 2 नवंबर के बाद ही शुभ माने जाएंगे।
विवाह के शुभ मुहूर्त
नवंबर में 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 24, 25, 30 तारीख को और दिसंबर में 4, 5, 6 दिसंबर को विवाह के मुहूर्त उपलब्ध हैं। कुल मिलाकर नवंबर-दिसंबर में 18 शुभ विवाह तिथियां रहेंगी