क्रोध को दबाना या उगलना दोनों ही हानिकारक है, क्रोध विफल या डिफ्यूज करना सीखें : आचार्य ज्ञानचंद्र महाराज

उदयपुर, हलचल । न्यू भोपालपुरा स्थित अरिहंत भवन में आचार्य ज्ञानचन्द्र महाराज के सानिध्य में आयोजित त्री दिवसीय संस्कार शिविर का समापन रविवार को सम्मान समारोह के साथ सम्पन्न हुआ।
अरिहंत मार्गी संघ चार्तुमास संयोजक विजय कोठारी ने बताया कि जैनाचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने कहा क्रोध डिफ्यूज करें अनेकांतवाद को समझें। क्रोध को दबाना या उगलना दोनों ही हानिकारक है, क्रोध विफल या डिफ्यूज करना सीखें । इसके लिए डिफ्यूज करने का तरीका आना चाहिए। एक बार महाक्रोधी व्यक्ति को समझाया कि अपने से छोटे पर क्रोध नहीं करना। शेर, कुत्ते से लड़कर जीते भी जाए तो कोई विशेषता नहीं है। उसे बात लग गई, उसका क्रोध छूट गया। क्योंकि छोटे पर गुस्सा करना नहीं और बड़ों पर क्रोध करना पर सौ बार सोचना पड़ेगा। आचार्य ने बतलाया- "धारेज्जा पियमप्पियं" प्रिय अप्रिय दोनों को धारण करें। परिवार में सभी आपके अनुसार चले यह जरूरी नहीं। अत: कभी कोई अप्रिय करता है तो उसे सहन करें और शांति से समझाएं, तभी शांति मिलनी है। महावीर का अनेकांतवाद यह समझता है कि किसी भी संप्रदाय में सब साधु अच्छे ही हो या सभी साधु खराब ही हो, दोनों तरह के होते हैं। अच्छों को वंदनीय मानकर चल जाए। अगर किसी करोड़पति आदमी को कोई गरीब कहता है तो मुकेश अंबानी की तुलना में वह गरीब है, क्योंकि नीता अंबानी का एक पर्स ही 15 करोड़ का है। अगर किसी सुंदर नारी को कोई कुरूप कहता है तो दुखी ना बने, मिस इंडिया, मिस वर्ल्ड के सामने तो कुरुप ही है। यह अनेकांतवाद की समझाइश है। पति-पत्नी में एक दो बात को लेकर ही विवाद होता है, जो तलाक तक पहुंचा देता है। अगर एक दो बात को समभाव से सह लिया जाए तो घर में स्वर्ग उतर जाना है।
- बालक बालिका प्रशिक्षण शिविर समापन
प्रवक्ता अनिल बम्ब ने बताया कि अरिहंत भवन, न्यू भूपालपुरा में विद्वत सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें उदयपुर के साथ ही देश के अन्य स्थानों से भी विद्वानों का सम्मान किया गया। स्नेहा खोखावत के कुशल संचालन में कार्यक्रम गतिमान हुआ। कहा आचार्य नानेश के प्राण, ज्योति उनकी आशाओं के स्तंभ है आचार्य प्रवर ज्ञानचंद्र महाराज ने कहा कि तुम नाना की ज्योति हो मिथ्यातम मिटाते हो ज्ञान गुरु के दर्पण में हम अष्टाचार्य दर्शन पाए है। तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अहमदाबाद के जितेंद्र बी शाह ने जैनागम और प्राकृत के प्रचार प्रसार की बात रखी। डॉ प्रेम सुमन जैन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सत्ताधारियों का सम्मान तो हर जगह होता है, विद्वानों का सम्मान एक सुखद पहल है। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी विद्वानों का सम्मान निम्न महानुभावों द्वारा किया गया।
- इन विद्वानों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम में डॉक्टर जितेंद्र बी शाह डॉक्टर देव कोठारी, डॉक्टर ओपी चपलोत, डॉक्टर प्रकाश हींगड़, डॉ कृष्ण मोहन जोशी, डॉक्टर सुभाष जी कोठारी, डॉक्टर नारायण लाल कच्छारा, डॉक्टर मीना जैन, डॉक्टर रेखा बडाला, डॉक्टर पुष्पा कोठारी, डॉक्टर हुकुमचंद जैन, डॉ राजकुमार जी वया आदि अनेक विद्वानों ने अपनी गरिमा में उपस्थिति दी। शताब्दिक बच्चों ने पांच-पांच सामायिक की उनका सम्मान नवनिर्वाचित राष्ट्रीय महिला अध्यक्षा सुनीता संचेती जयपुर की ओर से किया गया।
संतरत्न पावन मुनि महाराज के प्रथम दीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में सभी बच्चों को लैपटॉप बेग वैभव, अदिति जैन, दिल्ली वालों की ओर से दिया गया। दिलीप बाबेल उदयपुर की ओर से भी बच्चों को उपहार दिए गए। कार्यक्रम पश्चात गौतम प्रसादी का लाभ नररत्न सुभाष, जितेंद्र, सीमा, आभा, बडालमिया परिवार द्वारा लिया गया। उपस्थित जन समूह को पर्यावरण सुरक्षा एवं जीव दया का महत्व समझाते हुए आचार्य प्रवर ने सभी को पटाखे ना फोडऩे के प्रत्याख्यान ध्यान करवायें। इस अवसर पर सुभाष नगर जैन सोसाइटी के अध्यक्ष राकेश नंदावत महामंत्री मनीष नागौरी मंत्री हेमन्त कोठारी, सहसंयोजक अनिल बंब, अशोक कूकड़ा, राजकुमार वया, राकेश जैन पूर्व पार्षद, हर्ष बोकड़िया उपस्थिति रही।
