शनि अमावस्या का ये है पौराणिक महत्व

शनि अमावस्या का ये है पौराणिक महत्व
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भीलवाड़ा में शनि अमावस्या पर शनि मंदिर में सजावट की गई हे इसे हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है, जिसे शनि देव की कृपा प्राप्त करने और शनि दोष से मुक्ति के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है. यह दिन अमावस्या तिथि और शनिदेव की पूजा का मिलन होता है, जिससे इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व और भी बढ़ जाता है.शहर के गाँधी नगर ,रपट के बाला जी आदि शनि मंदिरो में २९ मार्च यानी आज सुबह से ही भक्तो की रेलम पहल रहेगी क्योंकि इस दिन दो बड़े संयोग बन रहे हैं। दरअसल, इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा और इसी दिन शनिदेव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे।




शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव सूर्यदेव और छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं. उन्हें कर्म, न्याय और दंड का देवता माना जाता है. शनिदेव व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. यह मान्यता है कि जिनकी कुंडली में शनि की साढ़े साती, ढैय्या या महादशा होती है, उन्हें इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए, जिससे उनकी समस्याएं कम हो सकती हैं.

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एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शनिदेव ने अपनी कठोर तपस्या से महादेव को प्रसन्न किया और उन्हें यह वरदान प्राप्त हुआ कि वे न्याय के देवता के रूप में कार्य करेंगे.

शनि अमावस्या पर पूजा और उपाय

इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना और उसमें सरसों के तेल का दीपक जलाना शनिदेव को प्रसन्न करता है.

काले तिल, उड़द दाल, सरसों का तेल और लोहे का दान करने से शनि दोष के प्रभाव में कमी आती है.

शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं.

जरूरतमंदों को भोजन प्रदान करना और गरीबों की सहायता करना शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता है.

न करें ये 4 काम

चैत्र अमावस्या के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इस दिन बेजुबान जानवरों को परेशान नहीं करना चाहिए, खासकर गाय, कुत्ते और कौवे को नुकसान पहुंचाने से बचें। क्योंकि ऐसा करने से शनि देव के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।

इस दिन माता-पिता, बुजुर्गों और महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से शनि दोष बढ़ सकता है और उनके दुष्प्रभाव का समाना करना पड़ सकता है।

चैत्र अमावस्या यानी शनिश्चरी अमावस्या के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी काटना भी अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में बाधाएं आ सकती हैं और बनते कार्य बिगड़ जाते हैं।

इसके अलावा, इस दिन तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। वहीं क्रोध, छल-कपट और गलत तरीके से धन कमाने से भी बचें, क्योंकि ऐसा करने से शनि देव नाराज हो सकते हैं।

करें ये उपाय




धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिश्चरी अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को दान करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र और तेल का दान करें। शनिश्चरी अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। मान्यता है कि इस दिन शनि मंदिर में जाकर तेल चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा अमावस्या पर हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि के नकारात्मक प्रभाव कम हो सकते हैं। वहीं, सूर्य ग्रहण के दौरान मंत्र जाप और ध्यान करें। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

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