तन्हा ट्रेजेडी: महेश भट्ट की जुबानी,परवीन बाबी: ग्लैमर की दुनिया से जुड़ी दुखद कहानी

मुंबई। 70 और 80 के दशक की सबसे बोल्ड और ग्लैमरस अभिनेत्रियों में शुमार परवीन बाबी की कहानी जितनी चकाचौंध से भरी थी, उतनी ही दर्दनाक भी। गुजरात के जूनागढ़ से आई इस सुंदर और आत्मविश्वासी अभिनेत्री ने जब बॉलीवुड में कदम रखा, तो अपने फैशन, स्टाइल और बेबाक अदाकारी से पूरी इंडस्ट्री को चौंका दिया। लेकिन सितारों की तरह चमकने वाली यह अभिनेत्री अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में तन्हाई, मानसिक बीमारी और गुमनामी में खो गई।
ग्लैमर की चमक के पीछे छुपा दर्द
परवीन बाबी का फिल्मी सफर अमर अकबर एंथनी, शान, कालिया और नमक हलाल जैसी सुपरहिट फिल्मों से सजा हुआ है। मगर कैमरे की चकाचौंध के पीछे वह एक साधारण, घरेलू और भावुक लड़की थीं। मशहूर फिल्म निर्माता महेश भट्ट, जो कभी उनके बेहद करीब रहे, ने हाल ही में एक इंटरव्यू में परवीन की जिंदगी के अनकहे पहलुओं को साझा किया।
भट्ट ने बताया, "परवीन को शोहरत की ऊंचाइयों पर देखकर कोई भी यह नहीं सोच सकता था कि वह अंदर से कितनी टूटी हुई थीं। वह कहती थीं – ‘डर लगता है।’ दरअसल, बंद दरवाजों के पीछे वह वही जूनागढ़ की लड़की थीं, जो बालों में तेल लगाकर रसोई में खाना बनाना पसंद करती थीं।"
पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया से जंग
रिपोर्ट्स के मुताबिक, परवीन बाबी पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी से जूझ रही थीं। वह कभी-कभी खुद को साजिशों का शिकार समझती थीं, और उन्हें यह भ्रम होता था कि कोई उनका पीछा कर रहा है या जान लेना चाहता है। उनके इस व्यवहार ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री और अपने करीबियों से दूर कर दिया।
महेश भट्ट कहते हैं, "हमने उन्हें समझाया था कि उन्हें इस प्रतिस्पर्धी माहौल से अलग हो जाना चाहिए। वह मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो चुकी थीं, मगर शोहरत से मुंह मोड़ना आसान नहीं होता।"
अंत हुआ तन्हाई में
20 जनवरी 2005 को परवीन बाबी की मौत उनके मुंबई स्थित फ्लैट में अकेलेपन में हुई। जब कई दिनों तक उनका कोई अता-पता नहीं चला, तो पुलिस ने दरवाजा तोड़कर उनकी लाश बरामद की। उनके पास न कोई परिवार था, न कोई करीबी, सिर्फ कुछ पुरानी यादें और अधूरी कहानियां।
परवीन बाबी की जिंदगी ग्लैमर और ट्रेजेडी का एक दुर्लभ मेल है। उन्होंने इंडस्ट्री को कई यादगार किरदार दिए, मगर खुद एक अधूरी कहानी बनकर रह गईं। उनकी कहानी आज भी यह सवाल छोड़ जाती है—क्या हमारी फिल्म इंडस्ट्री अपने कलाकारों की मानसिक सेहत को लेकर गंभीर है?