FRIENDSHIP DAY: फिल्मों ने सिखाए थे दोस्ती के नए मायने

दोस्ती वह रिश्ता है, जो हर इंसान के दिल के बेहद करीब होता है. दोस्त ही वह शख्स होता है जिसके साथ एक इंसान अपना हर गम और हर खुशी बिना किसी झिझक के बांट सकता है. स्कूल में शरारतों से लेकर कॉलेज के रोमांस तक कोई अगर हर कदम पर आपके साथ खड़ा है, तो वह आपका दोस्त है.

हर साल दोस्ती के इसी खास रिश्ते को फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन हर कोई अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से थोड़ा समय निकालकर अपने दोस्तों के साथ गुजारते हैं. अगर आप भी इस फ्रेंडशिप डे अपने दोस्त के साथ कुछ पल बिताना चाहते हैं तो चले आइए इन जगहों पर जहां शूट की गई थी दोस्ती के मायनों को समझाती ये बॉलीवुड फिल्में:

शोले

निर्देशक रमेश सिप्पी की 1975 में आई बॉलीवुड हिट “शोले” में जय-वीरू की दोस्ती की अनोखा झलक देखने को मिली थी. इस बेहतरीन फिल्म की शूटिंग कर्नाटक के बंगलुरू और मैसूर के बीच मौजूद “रामनगरम” में हुई थी. शोले की सफलता के बाद से यह जगह एक लोकप्रिय पर्यटन केंद्र बन गया. आप फ्रेंडशिप डे पर अपने दोस्त के साथ यहां आ सकते हैं.

शेरखान (जंजीर)





अमिताभ को ऐंग्री यंगमैन का तमगा दिलाने में सबसे अहम भूमिका शेरखान की ही तो थी। प्राण का निभाया बॉलिवुड का शायद पहला किरदार, जिसने ग्रे शेड वाले किरदार से भी हमें अच्छाइयां सीखने को मजबूर किया। शराब और जुए का अड्डा चलाने वाला शेरखान का मुकाबला जब ईमानदार अमिताभ से होता है, तो वह दोस्ती के लिए सारे बुरे धंधे फौरन छोड़ देता है। शुरुआत में एक अपराधी होने के बावजूद किसी भी हालत में दोस्ती निभाने का शेरखान का जज्बा अपराधियों को भी दोस्ती और अच्छाई का रास्ता चुनने के लिए मजबूर करता रहेगा।

सागर (साजन)

मामला मोहब्बत का हो, तो अक्सर दोस्ती की बुनियादें हिल जाती हैं। दोस्त के लिए सब कुछ न्यौछावर करने का जज्बा भी अक्सर ऐसे मामलों में डिगने लगता है। ऐसे में संजय दत्त का निभाया गया सागर का किरदार एक नजीर है। शारीरिक तौर पर अक्षम सागर की जिंदगी में सबसे बड़ी खुशी बनकर आती हैं माधुरी। कुछ वक्त बाद सागर को पता चलता है कि माधुरी उसके दोस्त सलमान खान (आकाश) का भी प्यार हैं। सागर खुदगर्ज बन सकता था लेकिन वह अपनी दोस्ती की खातिर उन दोनों को मिलवाने के लिए अपने प्यार की कुर्बानी तक देने को तैयार हो जाता है।

समीर (दिल चाहता है)

तीन दोस्तों के कॉन्सेप्ट पर बनी बॉलिवुड की पहली चर्चित फिल्म। दो दोस्तों के बीच सामंजस्य तीन के मुकाबले आसान रहता है। तीन दोस्त हों और तीनों का आपस में एक-सा प्रेम हो, यह विरले ही होता है। यह भी इंसानी फितरत ही है कि तीन लोगों की दोस्ती में हम हमेशा खुद पर फोकस चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमें बाकी दोनों दोस्त ज्यादा तव्वजो दें। अगर दो के बीच कुछ दूरी है भी, तो शायद ही तीसरा इसे पाटने की कवायद करता होगा। ऐसे में फिल्म में सैफ का निभाया समीर का रोल अलग है। आमिर और अक्षय खन्ना के रिश्तों में खटास आने के बावजूद वह दोनों का नजदीकी बना रहता है और आखिर में उनका पैचअप कराकर रिश्तों को फिर से नॉर्मल बना देता है।

सुक्खी (रंग दे बसंती)

कॉलेज जाने वाले युवाओं की दोस्ती को नया नजरिया देती राकेश ओमप्रकाश मेहरा की क्लासिक। आमिर खान उर्फ डीजे फिल्म में सबसे बड़े चेहरे हैं और लोगों को सबसे ज्यादा याद भी, लेकिन क्या किसी को सुक्खी भी याद हैं? शर्मन जोशी का निभाया गया एक बेहद डरपोक किस्म के लड़के का किरदार, जो दोस्ती के लिए हंसते-हंसते मुसीबत में भी फंसने को तैयार हो जाता है। फिल्म में दोस्तों के मना करने के बावजूद रेडियो स्टेशन पर कब्जा करने के आत्मघाती कदम में भी शर्मन का उनका साथ देना यह सिखाता है कि दोस्ती कभी नफे-नुकसान के लिए नहीं की जाती।

सर्किट (मुन्नाभाई सीरीज)

इन फिल्मों का केंदीय किरदार मुन्नाभाई अपने दोस्त सर्किट के बिना कुछ भी नहीं। सोचिए, अगर सर्किट धंधे की सारी टेंशन अपने सिर लेने से लेकर भाई के लिए बॉडी तक मैनेज न करता तो क्या मुन्नाभाई एमबीबीएस कर पाते? मुन्ना के बकवास से बकवास सवालों का जवाब कौन देता? अगर सर्किट न होता तो क्या मुन्नाभाई अपराध की दुनिया को छोड़ गांधीगीरी के रास्ते पर चल पाते? अरशद वारसी का निभाया यह रोल दिल में यह हसरत जरूर भर देता है कि काश, हमारी जिंदगी में भी कोई सर्किट होता, जो हर प्रॉब्लम में कहता, 'टेंशन मत लो भाई, अपन है न'।

रैंचो (थ्री इडिएट्स)

दोस्त तरक्की करे, ऐसा बहुत से लोग चाहते हैं लेकिन खुद से ज्यादा करे, ऐसा कितने चाहते होंगे? खैर, फिल्म की मानें तो यह एक ह्यमून नेचर है लेकिन इस नेचर को करारा जवाब है, आमिर खान का निभाया गया रैंचो का किरदार। अगर ऐसा न होता तो फिल्म में रैंचो अपने दोस्त फरहान में इंजिनियिरिंग छोड़कर फोटॉग्रफी में हाथ आजमाने का यकीन क्यों भरता? आखिर क्यों वह रट्टा मारकर पास करने की जुगत में रहने वाले राजू रस्तोगी को उसके अंदर की ताकत का अहसास कराता? दोस्त मौका पड़ने पर गाइड भी बन सकता है, शायद यही सिखाता है रैंचो।

ये जवानी है दीवानी

अयान मुखर्जी की फिल्म ये जवानी है दीवानी 2013 में आई थी. इस फिल्म में दोस्ती के अलग-अलग स्टेज को दिखाया गया था, जो लोगों को काफी पसंद आई थी. इस फिल्म को मनाली,जयपुर, पहलगाम और श्रीनगर जैसी जगह शूट किया गया था, जो दोस्तों के साथ घूमने के लिए काफी आकर्षक जगहें हैं.

दिल चाहता है

दिल चाहता है बॉलीवुड की एक और ऐसी फिल्म है जो दोस्ती के नए मायनों को समझाती है. तीन दोस्तों की जिंदगी को दर्शाती इस फिल्म की शूटिंग गोवा के एक किले में हुई थी, जिसे लोग “दिल चाहता है स्पॉट” के नाम से जानते हैं. फ्रेंडशिप डे के मौके पर घूमने के लिए यह जगह अच्छी है.

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