बच्चों भी हो सकते हैं डिप्रेशन का शिकार, ऐसे करें बचाव

बच्चों भी हो सकते हैं डिप्रेशन का शिकार, ऐसे करें बचाव
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आज के दौर में बिगड़ी हुई मेंटल हेल्थ भी एक बड़ा खतरा बन रही है. बुजुर्ग, युवा या फिर बच्चे सभी कभी न कभी खराब मानसिक सेहत का सामना कर रहे हैं. सोशल मीडिया, बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल, बिना वजह की चिंता, दूसरे जैसा बनने की होड़ लोगों की मानसिक सेहत बिगाड़ रही है. अब बच्चों पर भी इसका असर हो रहा है. चिंता की बात यह है कि बच्चों की बिगड़ी हुई मेंटल हेल्थ का शुरुआत में पता नहीं चल पाता है. ऐसे में धीरे-धीरे लक्षण गंभीर हो जाते हैं और यह डिप्रेशन की समस्या भी बन सकती है. इससे बच्चे की हालत बिगड़ सकती है. हालांकि कुछ तरीकों से इसकी आसानी से पहचान की जा सकती है.

अगर बच्चे का व्यवहार पहले की तुलना में बदल रहा है. वह चिड़चिड़ा हो रहा है और हर समय उदास रहता है तो माता-पिता को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. ये शुरुआती लक्षण हैं कि बच्चे की मेंटल हेल्थ खराब हो रही है. इससे शुरुआत में बच्चा एंजाइटी का शिकार हो सकता है. इसमें हर समय चिंता या घबराहट हो सकती है. अगर इस परेशानी का इलाज न हो तो कुछ मामलों में ये डिप्रेशन की समस्या भी बन सकती है. डिप्रेशन एक खतरनाक स्थिति है. ये कुछ मामलों में आत्महत्या का कारण भी बन जाती है. बच्चे भी डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं. खासतौर पर जो बच्चे अधिक समय फोन पर गेम खेलने और सोशल मीडिया का यूज में गुजारते हैं उनको यह समस्या हो सकती है.

बच्चों की मेंटल हेल्थ कैसे ठीक रखें

मणिपाल अस्पताल भुवनेश्व में मनोरोग विभाग में डॉ. एस ए इदरीस बताते हैं कि आज के समय में बच्चों की मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना भी जरूरी है. एक अभिभावक या माता-पिता के रूप में, हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम बच्चों को एक अनुकूल वातावरण दें. साथ-साथ अपने बच्चे को किसी भी हानिकारक चीजों ( जो उनकी मेंटल हेल्थ को खराब करे) के बारे में जानकारी देनी चाहिए. जैसी की सोशल मीडिया का ज्यादा यूज न करना और मोबाइल पर घंटों गेम न खेलने की सलाह देनी चाहिए.बच्चे को वास्तविक दुनिया का पता लगाने दें. उनको खेलकूद के लिए प्रेरित करें और शाम को कम से कम एक घंटा उनको बाहर खेलने के लिए भेजें.

क्या है इलाज

डॉक्टर काउंसलिंग और थेरेपी या फिर दवाओं के जरिए मानसिक समस्याओं का ट्रीटमेंट करते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि लोग बच्चों में खराब मेंटल हेल्थ के लक्षणों को लेकर जागरूक रहें और समय पर डॉक्टर से सलाह लें.

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