मौसम के बदलाव का दिमाग और व्यवहार पर पड़ता है असर, उठाएँ यह कदम

मौसम के बदलाव का दिमाग और व्यवहार पर पड़ता है असर, उठाएँ यह कदम
X

दीपावली के आगमन के साथ ही मौसम में बदलाव आता है। सुबह-शाम और रात के वक्त हल्की ठंड का अहसास होने लगता है जो यह दर्शाता है कि आने वाले दिनों में सर्दी का आगमन पूरी तरह से होने वाला है। मौसम के परिवर्तन से शरीर पर कई प्रकार का असर देखने को मिलता है लेकिन शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव से ज्यादा असर व्यक्ति के दिमाग और व्यवहार पर पड़ता है। ज्यादा गर्मी या ठंड व्यक्ति केदिमाग को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है।

'द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ' के अध्ययन के अनुसार, 12 से 21 डिग्री सेल्सियस में मूड काफी अच्छा होता है और गुस्सा कम आता है। जबकि तापमान ज्यादा होने पर इससे उलट हो सकता है। ऐसे में चलिए जानते हैं मौसम में बदलाव का शरीर और दिमाग पर किस तरह का असर पड़ता है और इसे कैसे कम कर सकते हैं।

मौसम में बदलाव का शरीर पर असर

एलर्जी

मौसम में बदलाव से एलर्जी की समस्या बढ़ सकती है। इम्यूनिटी कमजोर होने से वायरल फीवर, सर्दी-खांसी जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। इसकी वजह से स्किन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।

जोड़ों का दर्द

मौसम का असर शरीर के जॉइंट्स पर भी पड़ता है। सर्दियों के मौसम में जॉइंट पेन बढ़ सकता है। इससे चलने-फिरने या कोई कम करने में दिक्कतें आ सकती हैं। इतना ही नहीं कई बाद दर्द असहनीय भी हो जाता है।

मौसम बदलने से दिमाग पर क्या असर होता है

स्ट्रेस-एंग्जाइटी की समस्या

मौसम में बदलाव होने पर तनाव और चिंता बढ़ जाती है। दरअसल, दुनियाभर के मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि सन लाइट यानी सूर्य की रोशनी का हमारे मूड पर असर पड़ता है। जिसकी वजह से कुछ लोगों में सर्दियों में डिप्रेशन के लक्षण देखने को मिलते हैं। इसे विंटर डिप्रेशन या सीजनल इफेक्टिव डिसॉर्डर कहा जाता है। इसमें हर समय चिंता, बेचैनी, अनिद्रा, थकान, सिरदर्द जैसी समस्याएं बनी रहती है। मौसम बदलने पर अगर स्ट्रेस-एंग्जाइटी होती है तो किसी काम में मन नहीं लगता है।

डिप्रेशन

मौसम बदलने पर डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है। हमारा शरीर दिन में एक बार कॉर्टिसॉल रिलीज करता है, जो नॉर्मल प्रॉसेस है लेकिन अगर इसके रिलीज होने का समय बार-बार बदलता है तो इससे डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। मौसम बदलने पर ऐसा होना लाजिमी होता है।

मूड स्विंग होना

मौसम बदलने के साथ-साथ हमारा खान-पीना, पहनावा और रुटीन पूरी तरह बदल जाता है। जिसका मन पर निगेटिव असर पड़ता है। इससे मानसिक समस्याएं होने लगती है और कभी-कभी ये बदलाव मूड स्विंग का कारण बन जाता है।

फोकस घटता है, याददाश्त कमजोर होती है

मौसम में बदलाव से एकाग्रता में कमी हो सकती है। सर्दियों के मौसम में याददाश्त में कमी हो सकती है। कई बार चीजों को याद रख पाना आसान नहीं होता है। इसके अलावा मौसम बदलने पर सोचने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है।

मौसम में बदलाव से निपटने के तरीके

एक्सरसाइज करें, सही रुटीन फॉलो करें

हेल्दी फूड्स ही खाएं

पर्याप्त नींद लें

तनाव कम करने के लिए योग-मेडिटेशन करें

मौसम के अनुसार कपड़े पहनें

Next Story