ब्रेन स्ट्रोक के बाद हो गया है पैरालिसिस तो करा लें रिहैबिलिटेशन, जानें इसका फायदा

ब्रेन स्ट्रोक के बाद हो गया है पैरालिसिस तो करा लें रिहैबिलिटेशन, जानें इसका फायदा
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एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेन स्ट्रोक भारत में मौत का तीसरा प्रमुख कारण है. हाई बीपी, डायबिटीज, मोटापा और तंबाकू का सेवन भी स्ट्रोक का एक कारण बन सकता हैं. जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन, अमेरिका के शोध से पता चलता है कि स्ट्रोक से बचे 10 में से 9 लोगों को पैरालिसिस का अनुभव होता है. पैरालिसिस के कारण कुछ मरीज दिव्यांग तक हो सकते हैं, लेकिन अगर 90 दिनों के भीतर स्ट्रोक रिहैब ( स्ट्रोक के बाद रिकवरी के लिए प्रोसीजर) करा दें तो पैरालिसिस के बाद के साइ़डइफेक्ट्स को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इस समय के दौरान, ब्रेन की न्यूरोप्लास्टिसिटी (ब्रेन की खुद को ठीक करने की क्षमता) अपने चरम पर होती है. ऐसे में स्ट्रोक के बाद समय पर रिहैब

एचसीएएच सर्वेक्षण से पता चलता है कि रिहैब सेंटरों में स्वास्थ्य लाभ ले रहे 92 प्रतिशत मरीज तीन महीने के भीतर ठीक हो गए. घर पर ठीक होने वाले मरीजों में से 70 प्रतिशत को ठीक होने में चार महीने से अधिक का समय लगा. ऐसे में एक्सपर्ट्स कहते हैं कि स्ट्रोक के बाद डॉक्टर की सलाह लेकर जल्द से जल्द रिहैब शुरू करा देना चाहिए.

स्ट्रोक के बाद रिहैब क्यों है जरूरी

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग में डॉ सुधीर कुमार त्यागी बताते हैं कि रिहैब सेंटर स्ट्रोक से बचे लोगों की प्रभावी रिकवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ये केंद्र एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं जिसमें न केवल फिजिकल थेरेपी बल्कि मनोवैज्ञानिक सपोर्ट भी मिलता है, जो पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए जरूरी है , एक पुनर्वास केंद्र में, मरीजों का एक्सपर्ट्स की टीम विशेष उपकरणों और तकनीकों से इलाज करती है और स्ट्रोक आने के बाद हुए पैरालिसिस को काफी हद तक खत्म करने में मदद करती है. इसलिए स्ट्रोक वाले मरीजों को सलाह है कि वह रिहैब सेंटर की मदद लें. इससे पैरालिसिस के बाद आम जीवन जीना मुमकिन हो सकता है.

स्ट्रोक के लक्षण पहचानें

अधिकतर मामलों में स्ट्रोक के लक्षण कुछ समय पहले दिखने लग जाते हैं. अगर किसी व्यक्ति को हर दिन सिर में तेज दर्द, धुंधला दिखना, चक्कर आना या बोलने में परेशानी हो रही है तो ये स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. इनको नजरअंदाज न करें.

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