अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी, सांस की इन तीनों बीमारियों में अक्सर कन्फ्यूज रहते हैं लोग, ऐसे पहचानें अंतर

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी, सांस की इन तीनों बीमारियों में अक्सर कन्फ्यूज रहते हैं लोग, ऐसे पहचानें अंतर
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दिल्ली, एनसीआर समेत देश के कई राज्यों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. कई इलाकों में तो AQI 500 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. इस धुंए भरे माहौल में सांस लेना एक गैस चैंबर में सांस लेने के बराबर है जिसमें कई जहरीली हवाएं मौजूद है. डॉक्टरों का कहना है कि इतना जहरीले धुंए में सांस लेना दिन में 8-12 सिगरेट पीने के बराबर है. जिससे लोग बेहद गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं.

जहरीला धुंआ सबसे ज्यादा असर आपके लंग्स पर डालता है जिससे कई तरह के चेस्ट इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी की समस्या सबसे अधिक देखी जाती है. हालांकि ये तीनों ही बीमारियां अलग है लेकिन लक्षण और कारण के लिहाज से काफी मिलती जुलती है जिसके कारण लोग इन तीनों में आसानी से भेद नहीं कर पाते. ये तीनों ही बीमारियां बेहद खतरनाक मानी जाती है जो लंग्स को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचने के कारण होती है. तीनों में सबसे कॉमन लक्षण है सांस लेने में परेशानी होना.

क्या है अस्थमा

सबसे पहले अस्थमा की ही बात करें तो इस बीमारी को आम भाषा में दमा कहते हैं. ये बीमारी सांस की नलियों में सूजन के कारण होती है जिसकी वजह से फेफड़ों तक साफ हवा पहुंचने में परेशानी होती है. इस कारण मरीज का सांस फूलने लगता है और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. इस बीमारी के लक्षण अगर अत्यधिक गंभीर हो जाए तो मरीज को अस्थमा का अटैक भी आ सकता है, जिससे मरीज की जान तक को खतरा हो सकता है. जिन्हें पहले से ही ये समस्या होती है उन्हें प्रदूषण बढ़ने पर काफी परेशानियां होती है.

अस्थमा के लक्षण

अस्थमा में सबसे ज्यादा परेशानी सांस लेने में होती है.

– इसमें मरीज को बलगम वाली और बगैर बलगम की खांसी हो सकती है.

– सांस लेते समय पसलियों के बीच की स्किन अंदर की ओर खिंचना जिससे दर्द महसूस होना. की शिकायत

– सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना

– छाती में घरघराहट महसूस होना

– छाती में दर्द या जकड़न महसूस होना

– सोने में परेशानी होना

– तेज पसीना आना

– हार्ट बीट तेज होना

– बोलने में कठिनाई आना

– थोड़े समय के लिए सांस रूक जाना

सीओपीडी क्या है

सीओपीडी की बीमारी गंभीर एलर्जी, ज्यादा स्मोकिंग और प्रदूषण के कारण होती है, जिन शहरों में प्रदूषण सबसे ज्यादा रहता है वहां इसके मरीज सबसे ज्यादा पाए जाते हैं. इस बीमारी से लंग्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिससे मरीज का सांस फूलने लगता है. सांस में परेशानी होने से ऑक्सीजन शरीर के ब्लड में नहीं घुल पाता जिससे ऑक्सीजन सप्लाई रूक जाती है. इसके ज्यादातर मामले 25 साल के उम्र के बाद ही रिपोर्ट किए जाते हैं, इस बीमारी की वजह से सोते समय सीने में घरघराहट की आवाज आने लगती है जिससे सांस फूलने की परेशानी होती है.

सीओपीडी के लक्षण

– सीओपीडी में मरीज को ज्यादातर बलगम वाली खांसी रहती है.

– सांस लेते समय सीटी की आवाज आना.

– छाती में घरघराहट महसूस होना

– सीने में जकड़न

– सांस फूलना

– हार्ट बीट रुकना

– ऑक्सीजन के निम्न स्तर के कारण होंठों और नाखूनों का रंग नीला पड़ना.

– अत्यधिक थकान महसूस करना

ब्रोंकाइटिस क्या है

ब्रोंकाइटिस चेस्ट में हुआ एक वायरस इंफेक्शन है जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी हो सकता है. ये इंफेक्शन ठंड लगने, बढ़ते प्रदूषण किसी कारण भी हो सकता है. इसमें लंग्स में काफी अधिक इंफेक्शन हो जाता है.

ब्रोंकाइटिस के लक्षण

– ब्रोंकाइटिस में खांसते समय बलगम आना

– तेज बुखार के साथ शरीर में दर्द

– खून की उल्टियां आना

– छाती में बलगम जम जाना

– सांस लेने में परेशानी होना

कैसे करें बचाव

लंग्स से जुड़ी ये तीनों ही समस्याएं बेहद गंभीर है और ज्यादातर कमजोर इम्यूनिटी और बुजुर्गों पर ज्यादा हमला करती है. इसलिए इससे बचाव के लिए

– स्मोकिंग करने से बचें.

– प्रदूषण के समय बाहर निकलने से बचें.

– बाहर जाते समय मॉस्क लगाएं.

– स्टीम लें.

– गर्म पानी पीएं.

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