बढ़ती उम्र में जोड़ों की समस्याओं से कैसे रहें सेफ? एक्सपर्ट ने बताया, क्या है रोबोटिक सर्जरी

बढ़ती उम्र में जोड़ों की समस्याओं से कैसे रहें सेफ? एक्सपर्ट ने बताया, क्या है रोबोटिक सर्जरी
X

भारत में उम्रदराज लोगों में जोड़ों की समस्याएं, विशेष रूप से ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA), स्वास्थ्य की एक बड़ी चिंता का सबब बन गई है. OA एक अपक्षयी स्थिति है जिसमें जोड़ों में कार्टिलेज टूट जाता है. जिससे दर्द होता है और भागदौड़ कम हो जाती है. इससे मुख्य रूप से घुटने, कूल्हे, रीढ़ और हाथ प्रभावित होते हैं. जैसे-जैसे स्थिति गभीर होती है, यह किसी भी व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को गंभीर रूप से सीमित कर सकती है, जिससे उनके जीवन जीने की स्वतंत्रता पर काफी प्रभाव पड़ता है.

एक अनुमान के मुताबिक 60 साल से अधिक आयु की करीब 15-20% भारतीय आबादी ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित है. विशेषकर रजोनिवृत्ति के बाद महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं. मोटापा, कम चलने-फिरने और पिछली चोटों के चलते देश में जोड़ों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. दुर्भाग्य से शुरुआती जांच और उपचार के बारे में जागरूकता की कमी के चलते अक्सर निदान में देरी होती है, इससे स्थिति बिगड़ती है. देरी से इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है.

कार्य क्षमता और उत्पादन प्रभावित होता है

ऑस्टियोआर्थराइटिस के प्रभाव से व्यक्तियों को सड़कों पर चलने, सीढ़ियां चढ़ने या यहां तक कि कपड़े पहनने में भी कठिनाई होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह और भी देखा जाता है. आबादी का एक बड़ा हिस्सा समय पर इलाज पाने में असमर्थ हो जाता है, जिससे उनकी स्थिति और भी खराब हो जाती है.

जॉइंट रीप्लेसमेंट की प्रक्रिया क्या है?

हाल के सालों में रोबोट-सहायक शल्य-क्रिया ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार में एक प्लेयर के रूप में उभरी है, खासकर जोड़ों के प्रतिस्थापन (जॉइंट रीप्लेसमेंट) सर्जरी में. रोबोटिक सिस्टम, जैसे *MAKO* रोबोटिक आर्म असिस्टेड सर्जरी, पारंपरिक जॉइंट रिप्लेसमेंट विधियों के लिए अधिक सटीक, न्यूनतम हस्तक्षेप विकल्प प्रदान करते हैं. ये रोबोटिक प्रौद्योगिकियां आर्थोपेडिक सर्जनों को मरीज की अनूठी शारीरिक रचना की 3डी इमेजिंग के आधार पर सर्जिकल योजनाएं बनाने की अनुमति देती हैं, जिससे सर्जरी के दौरान सटीकता बढ़ जाती है.

सटीक इम्प्लांट प्लेसमेंट के परिणाम

इसका परिणाम अधिक सटीक इम्प्लांट प्लेसमेंट है. रोगी को अधिक प्राकृतिक अनुभव होता है. रोबोटिक सर्जरी में छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पारंपरिक तकनीकों की तुलना में ऊतक क्षति कम होती है, खून कम निकलता है और ऑपरेशन के बाद स्वास्थ्य लाभ में कम समय लगता है. सुरक्षित और अधिक कुशल विकल्प बन जाता है.

वंचित क्षेत्रों में उन्नत तकनीक का अभाव

हालाकि, इसके फायदों के बावजूद, रोबोटिक सर्जरी एक महंगा विकल्प बनी हुई है और अभी भी व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है, खासकर भारत के ग्रामीण हिस्सों में. जहां दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे शहरों के प्रमुख महानगरीय अस्पतालों ने अपने आर्थोपेडिक विभागों में रोबोटिक सिस्टम को शामिल करना शुरू कर दिया है, कई वंचित क्षेत्रों में अभी भी इस उन्नत तकनीक तक पहुंच का अभाव है. समय के साथ, जैसे-जैसे रोबोटिक सर्जरी की लागत कम होती जाएगी और तकनीक अधिक व्यापक होती जाएगी, यह भारत में ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है.

गांवों में बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल एक चुनौती

रोबोटिक सर्जरी एक आशाजनक समाधान प्रदान करती है, जो तेजी से पुनः स्वास्थ्य लाभ के समय के साथ अधिक सटीक, कम आक्रामक प्रक्रियाएं प्रदान करती है. इस तकनीक को व्यापक आबादी, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सुलभ बनाने के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता है. जागरूकता बढ़ा कर, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे का विस्तार और लागत कम करके, रोबोटिक सर्जरी ऑस्टियोआर्थराइटिस के प्रबंधन और भारत में लाखों लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.

Next Story