आज से खत्म करें प्लास्टिक के बने बर्तनों की आदत ,नही तो पड़ सकता है महंगा

आज से खत्म करें प्लास्टिक के बने बर्तनों की आदत ,नही तो पड़ सकता है महंगा
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आजकल अधिकतर लोग पानी पीने के लिए प्लास्टिक के बोतलों का इस्तेमाल करते हैं. वही घर से लेकर ऑफिस – जिम और यहां तक की यात्रा करने के दौरान भी लोग अक्सर प्लास्टिक से बोतल ,डब्बा, प्लेटो को उपयोग में लाते हैं. आज के हर घर के किचन प्लास्टिक से बने बर्तनों से भरे होते है.

एक अध्ययन से पता चला है की की पानी भरे एक लीटर बोतल में लगभग 240,000 प्लास्टिक के कण हो सकते हैं.इनमे भी नैनोप्लास्टिक के अधिक कण हो सकते हैं.

आइए जानते हैं की प्लास्टिक से बने बर्तनों के नियमित इस्तेमाल से कौन – कौन से नुकसान संभव है

इनफर्टिलिटी की संभावना

मार्केट में अधिकतर पॉलीकार्बोनेट से बना प्लास्टिक बोतल बेचा जा रहा है ऐसे बोतलों को लचीला बनाने के लिए इनमे बिस्फेनॉल ए (बीपीए) मिलाया जाता है .बीपीए एक तरह का हानिकारक केमिकल है. रिसर्च में पाया गया है की यह केमिकल फर्टिलिटी को प्रभावित करता है . इससे पुरुषों के प्रजजन क्षमता पर भी असर पड़ता है.

कैंसर का खतरा

लगातार प्लास्टिक से बने बर्तनों का इस्तेमाल करने से नैनो प्लास्टिक कण हमारे पेट में जमा हो सकता है जिससे पेट , आंत, फेफड़े जैसी जगहों में सूजन या गांठ बन सकता है जो आगे चलकर कैंसर का कारण हो सकता है. इसके साथ ही नैनो प्लास्टिक हमारे सेल्स के संरचना में और डीएनए में बदलाव लाने में भी सक्षम है

लिवर को डैमेज कर सकता है प्लास्टिक

जब हम प्लास्टिक में खाने का गर्म सामान रखते हैं तो प्लास्टिक से माइक्रोप्लास्टिक निकल कर खाने के सामान में मिल जाता है और खाने के साथ शरीर के भीतर जाता है. इसी तरह हम गर्म पानी प्लास्टिक के बोतल में रखते हैं तो नैनोप्लास्टिक पानी में मिल जाता है जब हम पानी पीते हैं तो हमारे भीतर जाकर किडनी को नुकसान पहुंचाता है.

इम्यूनिटी कमजोर

नियमित तौर पर प्लास्टिक के इस्तेमाल से शरीर में जहरीले पदार्थों की मात्रा बढ़ जाता है जिसकी वजह से हमारी इम्यूनिटी बुरी तरह प्रभावित होती है और बीमारी से लड़ने की हमारे शरीर की क्षमता पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

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