महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हैं, इस बीमारी से बचाव कैसे करें

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला एक गंभीर प्रकार का कैंसर है, जो महिलाओं की लोअर बॉडी में मौजूद सर्विक्स में होता है. यह कैंसर मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) के संक्रमण के कारण होता है. यह वायरस लंबे समय तक शरीर में रहने से कैंसर का रूप ले सकता है. हाल के वर्षों में भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में हर साल हजारों महिलाएं इस बीमारी से प्रभावित होती हैं. सर्वाइकल कैंसर शुरुआती चरण में पहचान करने पर पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, लेकिन जब इसकी स्टेज बढ़ जाती है, तो इसका ट्रीटमेंट कठिन हो जाता है. आइए इसके अन्य कारण भी जानें.
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में गायनेकोलॉजी विभाग में डॉ सलोनी चड्ढा बताती हैं किसर्वाइकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण HPV संक्रमण है. साथ ही कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण शरीर इस वायरस से प्रभावी रूप से लड़ नहीं पाता है, जिससे इसका असर बढ़ जाता है. धूम्रपान करने वाली महिलाओं में भी सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक होता है, क्योंकि तंबाकू में मौजूद हानिकारक तत्व इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं. कई बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं में भी इसका खतरा ज्यादा होता है क्योंकि हॉर्मोन और सर्विक्स पर अधिक दबाव पड़ता हैं. लंबे समय तक ओरल कांट्रासेप्टिव पिल्स के सेवन से भी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या हो सकती है, जिससे सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
क्या है सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
अगर पीरियड्स के बीच में, इंटरकोर्स के बाद या मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग हो रही है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. यह लक्षण सबसे सामान्य संकेतों में से एक है. ब्लीडिंग की मात्रा हल्की से लेकर भारी तक हो सकती है. वजाइना से दुर्गंधयुक्त गाढ़ा सफेद या लाल डिस्चार्ज हो रहा है, तो यह कैंसर का लक्षण हो सकता है. बिना किसी कारण के पेट के निचले हिस्से में दर्द या असहजता महसूस होना भी इसका लक्षण हो सकता है. यह दर्द लगातार बना रह सकता है या कभी-कभी महसूस हो सकता है
इंटरकोर्स के समय दर्द होना या ब्लीडिंग होना भी इस कैंसर का संकेत हो सकता है. इसके अलावा बार-बार पेशाब आना, पेशाब के दौरान जलन महसूस होना या पेशाब में खून आना, शरीर में कमजोरी महसूस होना और तेजी से वजन कम होना भी इसके लक्षणों में शामिल है. सर्वाइकल कैंसर लिम्फ नोड्स को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे टांगों में सूजन आ सकती है. अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. आइए जानें इससे बचाव कैसे करें.
कैसे करें बचाव
HPV वैक्सीन
यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए सबसे प्रभावी तरीका है. 9 से 26 वर्ष की उम्र की लड़कियों और महिलाओं को यह वैक्सीन लगवानी चाहिए.
पैप स्मीयर टेस्ट
21 वर्ष की उम्र से हर 3 साल में यह टेस्ट कराना चाहिए, जिससे कैंसर की शुरुआती चरण में पहचान हो सके.
सुरक्षित इंटरकोर्स
इंटरकोर्स के दौरान कंडोम का उपयोग करने से HPV संक्रमण का खतरा कम किया जा सकता है.
धूम्रपान से बचें
धूम्रपान छोड़कर सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.
हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
स्वस्थ आहार और एक्सरसाइज करने से इम्यून सिस्टम मजबूत हो सकता है.