दुनियाभर में इतने लोग बहरापन का शिकार, क्या हैं इसके शुरुआती लक्षण

देशभर में हर साल 3 से 10 मार्च तक विश्न श्रवण सप्ताह ( World Hearing Week) मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों को जागरूक करना होता है. देशभर में इस दौरान लोगों को कान में होने वाली बीमारियों और उसको स्वस्थ रखने के बारे में बताया जाता है. इसके लिए कैंप लगाकर कानों की जांच से लेकर बीमारियों का इलाज भी किया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, विश्व स्तर पर, 466 मिलियन लोग बहरापन की समस्या से पीड़ित हैं, जिनमें 34 मिलियन बच्चे भी शामिल हैं.
भारत में, 2011 की जनगणना में बताया गया है कि 5.73 मिलियन व्यक्तियों को सुनने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जबकि 1.98 मिलियन लोगों को बोलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों में, 23% को सुनने की परेशानी का सामना करना पड़ता है. 0-19 वर्ष की आयु के 20% व्यक्तियों को साफ सुनने में परेशानी होती है. अधिकतर मामलों में बीमारी की समय पर पहचान न होने से बहरापन की समस्या ठीक नहीं हो पाई है.
क्या हैं बहरेपन के लक्षण
कानों में कई तरह की बीमारियां होती हैं. आमतौर पर बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से कान में संक्रमण होता है. यह संक्रमण कान में या फिर टिश्यू के जरिए कान में चला जाता है. इससे खुजली, दर्द और कान में भारीपन होने लगता है. ईएनटी के डॉ. मीनेश आर बताते बैं कि बच्चों में सुनने की क्षमता में कमी को अक्सर तब तक नजरअंदाज कर दिया जाता है जब तक कि यह बोलने और सीखने में समस्या न करने लगे. हालाँकि, सही समय पर सही इलाज से इस बीमारी को काबू में किया जा सकता है. अगर बच्चा सही तरीके से बातचीत नहीं कर रहा है और सुन्ने में परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
लोगों को जागरूक किया जा जाएगा
विश्न श्रवण सप्ताह के मौक पर ईएनटीओडी फार्मास्यूटिकल्स ने अभियान शुरू किया है. इसका उद्देश्य बच्चों में सुनने के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना, सुनने की समस्याओं का जल्दी लगाने को प्रोत्साहित करना है. इस जागरूकता अभियान के तहत देशभर में लोगों को कान की बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाएगा. इसमें देशभर के 3500 से अधिक ईएनटी डॉक्टरों के साथ मिलकर मुंबई, पुणे, पटना, बेंगलुरु और कोलकाता सहित प्रमुख शहरों में सरकारी स्कूलों, अस्पतालों और क्लीनिकों में 6000 से अधिक शिविर लगाकर लोगों को कान की बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाएगा.