अभी संभलें, नहीं तो मिलेगा जीवनभर का दुख...: महिलाओं में ज्यादा होती है थायरॉइड की समस्या, जानें कारण और लक्षण

आयोडिन की कमी, बढ़ता प्रदूषण, जंक फूड, अनियमित दिनचर्या जैसी वजहों के जरिये महिलाएं थायराइड को निमंत्रण दे रही हैं। पिछले 10 वर्षों के दौरान यह समस्या तेजी से बढ़ी हैं। इसकी वजह से गर्भधारण में दिक्कत, माहवारी में ज्यादा बिल्डिंग होना, थकान समेत कई समस्याओं से महिलाओं को जूझना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, एम्स सहित दूसरे अस्पताल के स्त्री एवं प्रस्तुति रोग विभाग में इलाज के लिए आईं महिलाओं का विश्लेषण करने में यह बातें सामने आई हैं। थायराइड ग्रंथि हार्मोन का उत्पादन करती है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं। महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तनों के कारण थायराइड असंतुलन की आशंका अधिक होती है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि किसी महिलाओं में इसके लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत इलाज करना चाहिए। इसका इलाज लंबे समय तक चलता है।
आयोडीन में कमी थायराइड के लिए एक बड़ा कारण है। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार बड़े स्तर पर अभियान चला रही है। पुरुषों के मुकाबले यह रोग महिलाओं में ज्यादा होता है। 20 से 40 साल की उम्र की महिलाओं में यह रोग होने की आशंका अधिक रहती है। -प्रोफेसर डॉ. पिंकी सक्सेना, निदेशक स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, लेडी हार्डिंगे मेडिकल कॉलेज
साल में एक बार करवाए जांच
डॉक्टर नरेश खंडेलवाल का कहना है कि यदि किसी में थायराइड के लक्षण दिखते हैं तो उन्हें साल में एक बार जरूर जांच करवाना चाहिए। यदि थायराइड का स्तर सामान्य भी पाया जाता है तब भी बिना डॉक्टर की सलाह के दवा बंद नहीं की करनी चाहिए।
लक्षण
वजन बढ़ना या घटना
थकान
मासिक धर्म में अनियमितता
हृदय गति में परिवर्तन
बाल झड़ना
पाचन संबंधी, तंत्रिका संबंधी समस्याएं
कारण
हार्मोनल परिवर्तन : गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति और मासिक धर्म चक्र में असंतुलन।
स्वप्रतिरक्षी विकार : हाशिमोटो थायरायडाइटिस और ग्रेव्स रोग।
आनुवंशिक : परिवार में किसी को हो।
आयोडीन की कमी या अधिकता : आहार में असंतुलन।
अन्य कारण : वायरल संक्रमण, तनाव, और डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव।
जिंदगी भर चलता है इलाज
डॉक्टरों की सलाह पर थायराइड का इलाज जिंदगी भर चलता है। थायराइड का इलाज हार्मोन के स्तर के आधार पर किया जाता है। इलाज में दवाएं, सर्जरी, या रेडियोएक्टिव आयोडीन शामिल हो सकते हैं। मरीज को सुबह खाली पेट दवा लेनी चाहिए। दवा लेने के करीब 1 घंटे तक किसी भी प्रकार का चाय या कुछ और नहीं लेना चाहिए।