फलों पर नमक डालकर खाना किडनी के लिए घातक: इंदौर नेफ्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने चेताया – नमक, चीनी और मैदा बने सेहत के दुश्मन

इंदौर।
इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी, वेस्ट जोन चैप्टर (ISNWZ) की एनुअल साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस इन दिनों इंदौर में आयोजित हो रही है। देशभर से पहुंचे विशेषज्ञ डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने यहां किडनी की बीमारियों, उनके इलाज और आधुनिक तकनीकों पर गहन विचार-विमर्श किया। कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन ज्ञान, अनुभव और नवीन खोजों को समर्पित रहा।
सुबह से लेकर देर शाम तक चले सत्रों में इंटरैक्टिव लेक्चर्स, हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग और पैनल डिस्कशन हुए। युवा नेफ्रोलॉजिस्ट्स को अनुभवी डॉक्टरों से सीखने और वास्तविक केस स्टडीज़ को समझने का मौका मिला। कॉन्फ्रेंस हॉल्स में लगातार संवाद और चर्चा का माहौल बना रहा।
ब्लड प्रेशर और किडनी पर नमक का असर
मुंबई से आए डॉ. भरत शाह ने नमक सेवन को लेकर गंभीर चेतावनी दी। उन्होंने कहा –
> “यदि आप ब्लड प्रेशर के मरीज हैं और फलों पर नमक छिड़ककर खाते हैं, तो यह किडनी के लिए बेहद घातक है।”
उन्होंने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर सिर्फ दिल को ही नहीं, बल्कि किडनी को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है। बाजार में कई कंपनियां नमक की मात्रा और पोटैशियम स्तर को लेकर जानकारी देती हैं, लेकिन आमजन अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। दवा से ब्लड प्रेशर नियंत्रित हो सकता है, परंतु असली चुनौती है जीवनशैली और खानपान में बदलाव।
दूषित पानी और कीटनाशक भी खतरा
डॉ. शाह ने आगे कहा कि केवल खानपान ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय कारण भी किडनी को प्रभावित करते हैं।
कई राज्यों में दूषित पेयजल
फसलों पर अत्यधिक कीटनाशकों का प्रयोग
दोनों ही किडनी की सेहत बिगाड़ने में बड़ा कारण बनते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि लोग संतुलित आहार, शुद्ध पानी और हेल्दी जीवनशैली अपनाएं तो किडनी की कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
कैंसर की दवाओं का प्रभाव
मुंबई से आईं डॉ. श्रुति टापियावाला ने कहा कि कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कुछ आधुनिक दवाएं किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। हालांकि नई दवाओं के आने से मरीजों को लाभ भी हो रहा है, लेकिन इनके उपयोग में सतर्कता और डॉक्टर की गाइडलाइन का पालन करना बेहद जरूरी है।
अंगदान की जरूरत और जागरूकता
तमिलनाडु से आए डॉ. गोपाल कृष्णन ने किडनी प्रत्यारोपण की चुनौतियों पर जोर दिया। उनका कहना था –
> “देश में हजारों मरीज अंगदान के इंतजार में अपनी जिंदगी से जूझ रहे हैं। हमें किडनी ही नहीं, बल्कि अन्य अंगदान को लेकर भी जागरूकता बढ़ानी होगी।”
उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार, समाज, डॉक्टर और सिस्टम सभी को मिलकर कदम उठाने होंगे। तभी जरूरतमंद मरीजों को समय पर जीवनदान मिल सकेगा।
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नई खोजों से बेहतर इलाज की उम्मीद
ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. प्रदीप सालगिया ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन नई खोजों और रिसर्च को समर्पित रहा। डॉक्टरों ने जटिल बीमारियों के आधुनिक उपचार, दवाओं के नए ट्रेंड और रिसर्च पर विस्तृत जानकारी दी।
वहीं ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राजेश भराणी ने कहा कि इन सत्रों से स्पष्ट हुआ कि किडनी की बीमारियों की समय पर पहचान और नई दवाओं का सही उपयोग मरीजों की जान बचाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
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निष्कर्ष
कॉन्फ्रेंस ने यह साफ किया कि नमक, चीनी और मैदा जैसे तत्व धीरे-धीरे किडनी के लिए जहर साबित हो रहे हैं। बदलती जीवनशैली, दूषित पर्यावरण और खानपान की गलत आदतें किडनी रोगों को बढ़ावा दे रही हैं। विशेषज्ञों ने आह्वान किया कि यदि समाज आज से ही जागरूक होकर सही आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाए, तो भविष्य में लाखों लोगों की किडनी को सुरक्षित रखा जा सकता है।
