आरएसवी से प्रदेश में बढ़ी नवजातों की मुश्किलें, अस्पतालों में हर दिन दो-तीन केस; कोविड जैसी सावधानी की सलाह

आरएसवी से प्रदेश में बढ़ी नवजातों की मुश्किलें, अस्पतालों में हर दिन दो-तीन केस; कोविड जैसी सावधानी की सलाह
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लखनऊ। प्रदेश में रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (आरएसवी) नवजात शिशुओं के लिए तेजी से खतरा बनता जा रहा है। राजधानी सहित कई जिलों में अस्पतालों में प्रतिदिन दो से तीन संक्रमित नवजात पहुंच रहे हैं। बढ़ते मामलों को देखते हुए चिकित्सा संस्थानों ने जांच का दायरा और निगरानी बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि आरएसवी से बचाव के लिए कोविड की तरह ही मास्क, दूरी और स्वच्छता जरूरी है।

एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे सर्वाधिक प्रभावित

आरएसवी मुख्य रूप से एक वर्ष की आयु से कम बच्चों को तेज़ी से अपनी चपेट में लेता है। समय से पहले जन्में शिशु और कमजोर प्रतिरक्षा वाले बच्चे इसके प्रति अत्यधिक संवेदनशील पाए जा रहे हैं। वहीं बुजुर्गों और कम इम्यूनिटी वाले लोगों में भी इसके मामले मिलने लगे हैं। चिकित्सा जगत के अनुसार इस वायरस की कोई विशेष दवा अभी उपलब्ध नहीं है—इलाज लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है।

प्रदूषण और भीड़भाड़ को बढ़ते संक्रमण के लिए जिम्मेदार

डॉक्टरों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण और भीड़भाड़ वाले इलाकों में आवाजाही आरएसवी संक्रमण को और तेज़ कर रही है। घर में यदि किसी व्यक्ति को सर्दी-जुकाम है, तो उसे नवजात से दूरी रखने और मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है।

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कोविड काल में शुरू हुई पीसीआर जांच उपयोगी साबित

कोविड के दौरान अस्पतालों में शुरु की गई पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जांच आरएसवी की पहचान में बड़ी मदद दे रही है। जिन शिशुओं में लक्षण दिख रहे हैं, उन्हें तुरंत पीसीआर जांच के लिए भेजा जा रहा है, जिससे समय रहते उपचार शुरू किया जा सके और गंभीरता को रोका जा सके

आरएसवी क्या है?

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि आरएसवी एक ऐसा वायरस है जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और ब्रोंकियोलाइटिस तथा निमोनिया का कारण बनता है। इसकी शुरुआत साधारण सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों से होती है, लेकिन यह समय से पहले जन्में बच्चों और हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले शिशुओं में गंभीर रूप ले सकता है।

लक्षण और सावधानियां

एसजीपीजीआई की न्यूनेटोलॉजी विभाग की डॉ. अनिता सिंह के अनुसार, जांच बढ़ने से आरएसवी के मामले अधिक पकड़ में आ रहे हैं। बच्चों में निम्न लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें:

लगातार खांसी

सांस लेने में कठिनाई

दूध पीने में कमी या परेशानी

शरीर का रंग पीला, बैंगनी या नीला पड़ना

तेज बुखार

सावधानी:

घर में किसी को सर्दी-जुकाम हो तो नवजात से दूर रहें।

कोविड की तरह मास्क पहनें और हाथ साफ रखें।

बच्चे को बिना आवश्यकता छूने या गोद में लेने से बचें।


गर्भवती महिलाओं और नवजात के लिए टीका उपलब्ध

न्यूनेटोलॉजिस्ट डॉ. आकाश पंडिता बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं को आरएसवी का टीका लगाया जा सकता है। नवजात के लिए भी इसकी वैक्सीन उपलब्ध है, जिसकी कीमत लगभग 20 से 25 हजार रुपये है। यह विशेष रूप से समय से पहले जन्मे शिशुओं के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।

उन्होंने सलाह दी कि यदि घर में नवजात है और कोई सदस्य बीमार है या हाल ही में बीमार हुआ है, तो वह बच्चे से दूरी बनाए रखे।

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