World AIDS Day:: विश्व एड्स दिवस एचआईवी जागरूकता और समर्थन का वैश्विक अभियान

विश्व एड्स दिवस एचआईवी जागरूकता और समर्थन का वैश्विक अभियान
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विश्व एड्स दिवस हर वर्ष एक दिसंबर को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य एचआईवी एड्स महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना, संक्रमित लोगों के साथ एकजुटता दिखाना और इस बीमारी से खोए हुए लोगों को याद करना है। 1988 से शुरू हुआ यह वैश्विक दिवस स्वास्थ्य शिक्षा और नीतिगत प्रयासों का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है। इसकी शुरुआत डब्ल्यू एच ओ के एचआईवी एड्स प्रोग्राम से जुड़े जेम्स बन और थॉमस नेटर ने की थी और पहला आयोजन एक दिसंबर उन्नीस सौ अठासी को हुआ।




एचआईवी और एड्स को समझना

एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। समय पर इलाज न मिल पाने पर यह एड्स में बदल सकता है जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन जाता है। आज उपलब्ध एंटीरेट्रोवाइरल उपचार की बदौलत मरीज लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी पा रहे हैं और संक्रमण फैलने का खतरा भी घटा है।

विश्व एड्स दिवस का प्रभाव और आंकड़े

एड्स ने दुनिया भर में करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। बीमारियों के शुरुआती मामलों का पता उन्नीस सौ इक्यासी में चला। दो हजार बीस तक लगभग सैंतीस दशमलव सात मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे। दो हजार चार वह वर्ष था जब एड्स से होने वाली मौतें सबसे ज्यादा थीं, लगभग उन्नीस लाख। एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं की बेहतर उपलब्धता के कारण दो हजार बीस में यह आंकड़ा घटकर लगभग छह लाख अस्सी हजार रह गया।

विश्व एड्स दिवस का इतिहास

विश्व एड्स दिवस की अवधारणा उन्नीस सौ सतासी में रखी गई थी। एक दिसंबर की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि यह अमेरिकी चुनावों और क्रिसमस से पहले का समय होता है जहां पश्चिमी मीडिया में स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्टिंग को जगह मिलती है। शुरुआती वर्षों में थीम बच्चों और युवाओं पर आधारित रही ताकि यह संदेश जा सके कि एचआईवी किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है। उन्नीस सौ छियानबे में यूएनएड्स की स्थापना के बाद इस दिवस को वैश्विक स्तर पर प्रचारित और संगठित रूप मिला।

विश्व एड्स दिवस की थीम

हर वर्ष इस दिवस के लिए एक वैश्विक थीम तय की जाती है जो नीतियों और प्रयासों को दिशा देती है। हाल के वर्षों में शून्य भेदभाव, समुदायों को नेतृत्व करने दें और अधिकारों का मार्ग अपनाएं जैसे विषय शामिल रहे हैं। वर्ष दो हजार पच्चीस की थीम है व्यवधान पर काबू पाना और एड्स प्रतिक्रिया में परिवर्तन लाना। यह थीम उन चुनौतियों पर केंद्रित है जो एचआईवी सेवाओं की पहुँच को प्रभावित कर रही हैं।

विश्व एड्स दिवस दो हजार पच्चीस की चुनौतियाँ

दुनिया इस समय वित्तीय कठिनाइयों और सामाजिक राजनीतिक बदलावों से गुजर रही है जिससे एचआईवी सेवाओं पर दबाव बढ़ा है। दंडात्मक कानून, समुदाय आधारित सेवाओं के लिए संसाधनों की कमी और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में व्यवधान ने हाशिये पर रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इससे परीक्षण, रोकथाम और परामर्श सेवाओं में कमी दिख रही है और आगे चलकर सतत लक्ष्य जोखिम में पड़ सकते हैं।

विश्व एड्स दिवस की उपलब्धियां

पिछले कई वर्षों में एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी ने असंख्य जीवन बचाए हैं। माताओं से बच्चों में संक्रमण रोकने वाले कार्यक्रमों ने जन्म के समय संक्रमण के मामलों में गिरावट लाई है। साथ ही प्रेप और पेप जैसे उपाय और समुदाय आधारित जागरूकता कार्यक्रम नए मामलों को कम करने में मददगार साबित हुए हैं। यह उपलब्धियां बताती हैं कि मजबूत नीतियां, पर्याप्त संसाधन और समाज की भागीदारी मिलकर बदलाव ला सकती हैं।

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