कहीं आप भी तो एंग्जाइटी या डिप्रेशन में नहीं है? IHBAS के प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश से जानें इनके लक्षण

कहीं आप भी तो एंग्जाइटी या डिप्रेशन में नहीं है? IHBAS के प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश से जानें इनके लक्षण
X

डिप्रेशन और एंग्जाइटी की समस्या अब बहुत बढ़ रही है. युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक इसका शिकार हो रहे हैं. इन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के होने के कई कारण हैं, लेकिन फिलहाल हम आपको यह बताएंगे कि आप एंग्जाइटी और डिप्रेशन में हैं या नहीं इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं. इसके बारे में दिल्ली सरकार के मानव व्यवहार एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences (IHBAS)) में मनोरोग विभाग में प्रोफेसर डॉ ओमप्रकाश ने डिटेल में बताया है.

अवसाद (डिप्रेशन) की पहचान कैसे करें

डॉ ओमप्रकाश बताते हैं कि डिप्रेशन एक मानसिक स्थिति है जो व्यक्ति की सोच, भावनाओं और रोजाना के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करती है. इसके कई लक्षण होते हैं जैसे कीलगातार उदासी महसूस होना. इसमें व्यक्ति हर समय दुखी, गुमसुम या खालीपन महसूस करता है. उसकी भावनाएं स्थिर नहीं रहती और वह अक्सर रोने लगता है. जैसे व्यक्ति के दिमाग में ख्याल आते हैं कि वह हर चीज़ से थक गया है” या “उसे किसी चीज़ में खुशी नहीं मिलती है.

रुचि की कमी

व्यक्ति उन गतिविधियों में रुचि खो देता है जो पहले उसे खुशी देती थीं, जैसे खेल, दोस्तों से मिलना, या पसंदीदा शौक.

ऊर्जा में कमी और थकावट

व्यक्ति छोटे -छोटे काम के बाद भी थका हुआ महसूस करता है और हर काम भारी लगने लगता है.

भूख और नींद में बदलाव होना

व्यक्ति को भूख कम लगना या जरूरत से ज्यादा खाने की आदत हो जाती है. इसके साथ हीबहुत कम सोना (अनिद्रा) या बहुत ज्यादा सोना (हाइपरसोम्निया) की समस्या होने लगती है.

नकारात्मक सोच और आत्मग्लानी

व्यक्ति खुद को हर चीज़ के लिए दोषी मानता है और बार-बार खुद को नाकाम या बेकार समझता है. जब डिप्रेशन के ये सब लक्षण आते हैं तो फिर व्यक्ति के मन में आत्महत्या के विचार आने लगते हैं वह अपरने जीवन को समाप्त करने की बातें करता है.

इसके अप्रत्यक्ष संकेत देता है, या आत्महत्या की योजना बनाता है. अकसर वह किसी से कह भी देता है कि अबअब जीने का कोई मतलब नहीं है. ऐसे मामलों में व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है.

एंग्जायटी की पहचान कैसे करें

चिंता या एंग्जाइटी एक सामान्य भावना है, लेकिन जब यह ज्यादा होने लगती तो इसका असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. इसमें कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

अत्यधिक चिंता और डर

व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर आवश्यकता से अधिक चिंता करता है, जैसे भविष्य की अनिश्चितता या असफलता का डर होना एक आम लक्षण है.

उदाहरण के तौर पर व्यक्ति ये सोचना है “अगर मैं असफल हो गया तो क्या होगा?”

शारीरिक लक्षण

चिंता के साथ कई बार शारीरिक लक्षण भी दिखते हैं जैसे की

दिल की धड़कन तेज होना

सांस फूलना

पसीना आना

हर समय सतर्क रहना (Hypervigilance):

व्यक्ति हर समय सतर्क और घबराया हुआ महसूस करता है, जैसे कोई खतरा आसपास हो या कुछ गलत होने वाला हो

उदाहरण: “मुझे हमेशा डर लगता है कि कुछ बुरा होगा।

नकारात्मक सोच

व्यक्ति बार-बार “क्या होगा अगर” के बारे में सोचता है और हमेशा सबसे खराब स्थिति की कल्पना करता रहता है.

इस स्थिति में अकसर दिमाग में ये विचार आते हैं “अगर मैं इस काम में फेल हो गया तो क्या होगा?”

विशेष स्थानों में बोलने से बचाव

व्यक्ति किसी खास परिस्थिति से बचने की कोशिश करता है, जैसे सार्वजनिक मंच पर बोलना, यात्रा करना, या अजनबियों से मिलकर बातचीत करना

> उदाहरण: “मैं पार्टी में नहीं जाऊंगा, मुझे अजीब लगेगा।”

नींद और ध्यान में समस्या

चिंता के कारण व्यक्ति ठीक से सो नहीं पाता और हमेशा बेचैन रहता है

ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है

इन लक्षणों के दिखने पर क्या करें?

व्यक्ति की स्थिति को समझने की कोशिश करें और जज करने से बचें. उसकी मदद करें और कहें कि “मैं समझता हूं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं. मैं आपकी मदद के लिए यहां हूं.बातचीत करें और उनसे सीधे पूछें कि आप किसी चीज़ से परेशान हैं? मैं आपकी बात सुनना चाहता हूं. व्यक्ति कोमनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक) से मिलने के लिए बताएं . इसके लिए भारत सरकार की मानसिक स्वास्थ्य सेवा टेली-मानस एक 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन है

नंबर: 14416 या 1-800-891-4416

यह सेवा गोपनीय है और कई भाषाओं में उपलब्ध है

Next Story