राजस्थान में RGHS दवा विक्रेताओं का विरोध: कैशलेस दवाएं बंद करने की धमकी, 880 करोड़ का भुगतान अटका

जयपुर राजस्थान सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजना 'राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम' (RGHS) पर संकट गहरा गया है। प्रादेशिक दवा विक्रेता समिति के बैनर तले लगभग 5,000 दवा विक्रेताओं ने सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उनका आरोप है कि महीनों से भुगतान अटका हुआ है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है। यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे कैशलेस दवाओं की आपूर्ति पूरी तरह बंद कर देंगे। यह मुद्दा सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिवारों (कुल 13 लाख से अधिक लाभार्थी, 67 लाख सदस्य) के लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।
बैठक और प्रमुख मांगें
सोमवार (15 सितंबर 2025) को जयपुर के मानसरोवर स्थित होटल रॉयल बाग में प्रादेशिक दवा विक्रेता समिति की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई। विभिन्न जिलों से पहुंचे दवा विक्रेताओं ने अपनी समस्याओं पर चर्चा की। समिति के अध्यक्ष विवेक विजयवर्गीय ने कहा, "डॉक्टर पर्ची लिखते हैं, हम दवाएं उपलब्ध कराते हैं, लेकिन सरकार बिल रोक देती है। जिम्मेदारी कौन लेगा? बड़े अधिकारियों तक बात पहुंचाने के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही।"
मुख्य मांगें:
अटके हुए भुगतानों (लगभग 880 करोड़ रुपये) का तत्काल निपटारा।
बिलों में अनावश्यक कटौती और रिजेक्शन बंद करना।
भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाना (एमओयू के अनुसार 21 दिनों में भुगतान)।
योजना में शामिल होने वाले दवा स्टोर्स की संख्या बढ़ाना और सहायता प्रदान करना।
विरोध का ऐलान: काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन
विक्रेताओं ने 15, 16 और 17 सितंबर (सोमवार से बुधवार) तक सांकेतिक विरोध करने का फैसला किया है। इस दौरान सभी अधिकृत केमिस्ट काली पट्टी बांधकर काम करेंगे, लेकिन दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। विवेक विजयवर्गीय ने चेतावनी दी, "यदि तीन दिनों के बाद भी भुगतान नहीं हुआ, तो RGHS के तहत कैशलेस दवाएं पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी।" यह विरोध प्रदेशभर में फैले 4,500 से अधिक अधिकृत दवा स्टोर्स पर लागू होगा।
पृष्ठभूमि: RGHS योजना और भुगतान विवाद
RGHS योजना 2021 में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा शुरू की गई थी, जो सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके आश्रितों को कैशलेस इलाज और दवाएं प्रदान करती है। योजना के तहत लाभार्थी अधिकृत निजी फार्मेसी से दवाएं ले सकते हैं, और सरकार बिल का भुगतान करती है। लेकिन वर्तमान भजनलाल शर्मा सरकार में भुगतान में देरी, बिल रिजेक्शन और कटौतियां आम हो गई हैं।
अटका भुगतान: समिति के अनुसार, 4-6 महीनों से 880 करोड़ रुपये बकाया हैं। इससे कई दवा स्टोर्स दिवालिया होने की कगार पर हैं।
पिछले विरोध: यह पहला मौका नहीं है। अगस्त 2024 में कोटा, अलवर और बीकानेर में हड़ताल हुई थी, जब 600 करोड़ बकाया थे। फरवरी 2024 में 2 दिनों के लिए दवा सप्लाई बंद रही। जुलाई 2025 में निजी अस्पतालों ने 980 करोड़ के बकाया पर कैशलेस इलाज बंद करने की धमकी दी थी। अगस्त 2025 में भी अस्पताल एसोसिएशन ने 25 अगस्त से सेवाएं रोकने का ऐलान किया, लेकिन सरकार ने 850 करोड़ जारी कर आंशिक समाधान किया।
सरकार का पक्ष: स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा कि मार्च 2025 से पहले के अधिकांश बकाया (850 करोड़ से अधिक) जारी हो चुके हैं। बाकी राशि उन स्टोर्स/अस्पतालों की है जहां अनियमितताएं (जैसे फर्जी बिल, 54 करोड़ का घोटाला अप्रैल 2025 में उजागर) पाई गईं। सरकार नई फार्मेसी को एम्पैनल कर रही है और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए AI-आधारित ऑडिट कर रही है।
प्रभाव और संभावित परिणाम
लाभार्थियों पर असर: RGHS के तहत OPD/IPD दवाओं और इलाज पर निर्भर लाखों लोग प्रभावित होंगे। कई जगह सरकारी CONFED स्टोर्स या नकद खरीद का विकल्प बचेगा, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में दिक्कत बढ़ेगी।
राजनीतिक रंग: पूर्व CM अशोक गहलोत ने सरकार पर निशाना साधा, कहा कि योजना उनकी सरकार में सुचारू चली, लेकिन अब भुगतान देरी से लाभार्थी परेशान हैं। कर्मचारी संगठन भी भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर रहे हैं।
सरकार की कार्रवाई: यदि विरोध बढ़ा, तो सरकार अतिरिक्त फंड जारी कर सकती है या नई गाइडलाइंस ला सकती है। लेकिन अनियमितताओं पर सख्ती जारी रहेगी, जैसे 29.75 करोड़ की पेनल्टी लगाई जा चुकी है
