मोटापा कम करने वाली दवाओं का WHO ने किया समर्थन, ये है कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों ने मोटापा कंट्रोल करने वाली जीएमपी-1 रिसिप्ट्टर दवाओं का समर्थन किया है. ये दवाएं शरीर के हार्मोन को कंट्रोल करती हैं. इससे भूख और शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनियाभर में मोटापा एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. स्वस्थ भोजन और लाइफस्टाइल मोटापा कम करने में सहायक तो हैं, लेकिन इससे बीमारी काबू में नहीं आ पा रही है. जीएलपी -1 रिसेप्ट्टर दवाएं नए तकनीक से भी बनी हैं. इनमें सेमाग्लूटाइड जैसी दवाएं हैं जो मोटापा कम करने में काफी मददगार है
डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. जेरेमी फर्रार ने कहा कि अब तक की नीतियां या कुछ दवाएं मोटापे पर काबू पाने में बड़े स्तर पर सफल नहीं रही हैं. मोटापा एक ऐसी समस्या है जिसका सामाना एक बड़ी आबादी कर रही है. ऐसे में जीएल-1 दवाओं काफी कारगर साबित हो सकती हैं. इन दवाओं में बेहतरीन क्षमता है.
WHO ने क्यों किया सपोर्ट
भारत सहित कई देशों में दवा सेमाग्लूटाइड के पेटेंट अगले कुछ वर्षों में समाप्त होने वाले हैं. ऐसे में मोटापा को कम करने के लिए किसी अच्छे विकल्प की जरूरत है. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जीएमपी-1 दवाओं को सपोर्ट किया है, ताकि देशों में लोग इन दवाओं को यूज कर सकें. मोटापे से ग्रस्त लोगों के जीएलपी-1 रिसेप्टर के यूज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन दिशानिर्देश भी जारी करेगा. ये दिशानिर्देश जुलाई 2025 में प्रकाशित होने की संभावना है.
हर आठ में से एक व्यक्ति को मोटापे की समस्या
WHO के मुताबिक, विश्व स्तर पर, आठ में से एक व्यक्ति को की समस्या है. 1990 के बाद से वयस्कों में मोटापे का प्रसार दोगुना हो गया है भारत की बात करें तो यहां 44 मिलियन महिलाएं और 26 मिलियन पुरुष मोटापे के साथ जी रहे हैं. खानपान की गलत आदतें और बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल मोटापा बढ़ने का एक बड़ा कारण है. अब छोटे बच्चे भी मोटापे का शिकार हो रहे हैं. जंक फूड का सेवन इसका एक बड़ा कारण है. WHO ने कहा है कि मोटापे एक महामारी की तरह बन रहा है. नई दवाएं इस बीमारी को काबू करने में सफल साबित हो सकती हैं.