भारत में दवा उद्योग को बड़ा अल्टीमेटम: जनवरी तक हर फैक्ट्री को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर लाना अनिवार्य

नई दिल्ली। भारत की दवा नियामक संस्था (Drug Regulator) ने सभी राज्यों को सख्त आदेश दिया है कि देश की हर दवा फैक्ट्री को जनवरी तक अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार दवाइयां बनानी होंगी। यह फैसला उस समय लिया गया है जब सितंबर के बाद से जहरीली खांसी की सिरप से बच्चों की मौत के मामले सामने आने लगे थे।
**क्यों उठाया गया कदम?**
पिछले साल भारत से बने खांसी के सिरप से अफ्रीका और सेंट्रल एशिया में 140 से अधिक बच्चों की मौत जुड़ी थी। इस घटना ने भारत की “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” वाली पहचान को गहरा धब्बा पहुंचाया। इसके बाद सरकार ने सभी दवा कंपनियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नियमों के अनुरूप अपने प्लांट सुधारने का निर्देश दिया।
**छोटे उद्योगों के लिए मुश्किलें बढ़ीं**
बड़ी कंपनियों ने जून 2024 तक अपने प्लांट सुधार लिए थे, लेकिन छोटे उद्योगों को दिसंबर 2025 तक का समय दिया गया था। अब सरकार ने स्पष्ट कहा है कि जनवरी से कोई छूट नहीं मिलेगी। छोटे दवा निर्माताओं का कहना है कि इतने कम समय में बदलाव करना उनके लिए बहुत महंगा होगा और इससे कई फैक्ट्रियां बंद भी हो सकती हैं।
**नियमों का पालन न होने पर क्या कार्रवाई होगी?**
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल, राजीव सिंह रघुवंशी ने कहा है कि जो फैक्ट्रियां “शेड्यूल M” के नए नियमों का पालन नहीं करेंगी, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकारों को तुरंत निरीक्षण शुरू करने के आदेश भी दिए गए हैं।
**आगे का असर**
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम दवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करेगा। लेकिन साथ ही दवाइयां महंगी होने की संभावना है। छोटे उद्योगों का डर है कि अगर वे नियमों का पालन नहीं कर पाए तो नौकरियां चली जाएंगी और दवाओं की कीमतें आम लोगों की पहुंच से बाहर हो सकती हैं।
सरकार और उद्योग के बीच संतुलन बनाना इस समय चुनौतीपूर्ण है, लेकिन उद्देश्य साफ है—सुरक्षित और गुणवत्ता वाली दवाइयां हर नागरिक तक पहुंचना।
