आरजीएचएस में नए अस्पतालो की एंट्री रुकी, पुराने भी बाहर; लाखों कार्मिक इलाज के लिए परेशान

राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में पिछले कुछ महीनों से अनियमितताओं के नाम पर नए अस्पतालों का पंजीकरण लगभग बंद कर दिया गया है। कई पुराने अस्पताल और फार्मेसियां भी पैनल से बाहर हो चुकी हैं। इसका सीधा असर यह हुआ कि स्कीम पर निर्भर लाखों सरकारी कार्मिकों और पेंशनरों के लिए इलाज के विकल्प तेजी से कम हो रहे हैं।
बीते महीनों में स्कीम में फर्जी बिलिंग, मनमाने शुल्क, गलत कोडिंग जैसी शिकायतें बढ़ीं। इसके बाद विभाग ने कई अस्पतालों को नोटिस जारी किए और कई को पैनल से हटा दिया। भीलवाड़ा के कई निजी अस्पताल भी महीनों से पैनलिंग के इंतजार में हैं, लेकिन उनकी फाइलें विभागीय प्रक्रियाओं में रुकी पड़ी हैं।
अस्पताल संचालकों का कहना है कि विभाग ने अनियमितताओं की आड़ में पंजीकरण प्रक्रिया को लगभग ठप कर दिया है। वहीं, आरजीएचएस अधिकारी दावा कर रहे हैं कि गंभीर अनियमितताओं की जांच और नियमों में सुधार के चलते नई एंट्री पर अस्थायी रोक लगानी पड़ी।
इस स्थिति का सबसे बड़ा प्रभाव कर्मचारियों पर पड़ रहा है। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा और भीलवाड़ा जैसे बड़े शहरों में सरकारी अस्पतालों का भार पहले ही काफी ज्यादा है। निजी अस्पतालों के पैनल से बाहर होने और नई एंट्रियों के रुकने से मरीजों को इलाज के लिए दूर जाना पड़ रहा है और खर्च भी बढ़ रहा है।
कई अस्पतालों की फाइलें विभागीय ‘अप्रूवल लिस्ट’ में लंबित हैं, लेकिन गाइडलाइनों में प्रस्तावित संशोधनों का हवाला देकर विभाग नई पैनलिंग को आगे नहीं बढ़ा रहा है। इससे चिकित्सकीय सेवाओं पर निर्भर हजारों परिवारों के सामने मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
