अहमदाबाद सिविल अस्पताल की बड़ी उपलब्धि,: 11 महीनों में बिना चीर-फाड़ के 700 मरीजों की किडनी पथरी निकाली गई

11 महीनों में बिना चीर-फाड़ के 700 मरीजों की किडनी पथरी निकाली गई
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अहमदाबाद. शहर के सिविल अस्पताल ने आधुनिक चिकित्सा तकनीक के जरिए एक नई मिसाल पेश की है। अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग में पिछले 11 महीनों में 700 मरीजों की किडनी और मूत्रनली की पथरी बिना किसी चीर-फाड़ के सफलतापूर्वक निकाली गई। यह उपचार अत्याधुनिक लिथोट्रिप्सी तकनीक के माध्यम से किया गया, जो अब तक की सबसे सुरक्षित और दर्द रहित विधियों में से एक मानी जा रही है।

यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. श्रेणिक शाह ने बताया कि लिथोट्रिप्सी पद्धति में उच्च आवृत्ति वाली तरंगों की मदद से किडनी और मूत्रनली की पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है, जिससे वह प्राकृतिक रूप से शरीर से बाहर निकल जाती है। इस प्रक्रिया में न तो चीरा लगाया जाता है और न ही टांके लगाने की जरूरत पड़ती है। मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता नहीं होती और वह जल्दी स्वस्थ हो जाता है।

डॉ. शाह के अनुसार, पिछले 11 महीनों में इलाज किए गए 700 मरीजों में से 82 प्रतिशत मरीजों की पथरी पहली ही बार में पूरी तरह निकाल दी गई। वहीं, लगभग 15 प्रतिशत मरीजों को दूसरी बार लिथोट्रिप्सी प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ी। इस अवधि में इलाज कराए गए मरीजों की आयु 3 साल से लेकर 81 साल तक रही। इनमें 497 पुरुष और 203 महिला मरीज शामिल थे।

अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, 192 मरीजों की पथरी का आकार 15 मिलीमीटर से अधिक था, जबकि 323 मरीजों की पथरी 10 से 15 मिलीमीटर और 185 मरीजों की पथरी 10 मिलीमीटर तक की थी। इनमें से 522 मरीजों की पथरी किडनी में और 178 मरीजों की मूत्रवाहिनी में थी।

सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने बताया कि इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें मरीज को न तो दर्द होता है और न ही शरीर पर कोई निशान रह जाता है। यह पूरी तरह गैर-आक्रामक और सुरक्षित तकनीक है। उपचार के कुछ घंटे बाद ही अधिकांश मरीज घर लौट सकते हैं।

अहमदाबाद सिविल अस्पताल की यह उपलब्धि राज्य में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती गुणवत्ता को भी दर्शाती है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की आधुनिक तकनीकों से भविष्य में पथरी के इलाज को और अधिक सुलभ, किफायती और प्रभावी बनाया जा सकेगा।

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