दिल्ली में कैंसर उपचार में आई नई क्रांति – बिना चीरे, बिना दर्द के इलाज से बढ़ी मरीजों की उम्मीद

दिल्ली में कैंसर उपचार में आई नई क्रांति – बिना चीरे, बिना दर्द के इलाज से बढ़ी मरीजों की उम्मीद
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दिल्ली। कैंसर, विशेषकर प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए अब एक नई उम्मीद जग चुकी है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की नवीनतम तकनीक *ब्रेकीथेरेपी* तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह उपचार बिना चीरे और बिना दर्द के किया जाता है, जिससे मरीज को सर्जरी की तकलीफ नहीं झेलनी पड़ती और रिकवरी भी बेहद तेज होती है।

इस विधि में कैंसरग्रस्त हिस्से को शरीर के भीतर से ही विकिरण दिया जाता है, जिसे आंतरिक रेडियोथेरेपी या *इंटरनल रेडिएशन थैरेपी* कहा जाता है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में इसमें दर्द, संक्रमण और अस्पताल में रुकने की अवधि काफी कम होती है। यही कारण है कि यह तकनीक मरीजों के बीच नई उम्मीद बन रही है।

**कैसे काम करती है यह तकनीक**

ब्रेकीथेरेपी दो प्रमुख तरीकों से की जाती है—हाई डोज रेट (एचडीआर) और लो डोज रेट (एलडीआर), जिसे ‘सीड्स विधि’ भी कहा जाता है।

एचडीआर विधि में मशीन द्वारा नियंत्रित रेडियो सक्रिय स्रोत को सुई के माध्यम से कुछ मिनटों के लिए कैंसरग्रस्त हिस्से में रखा जाता है और फिर बाहर निकाल लिया जाता है।

वहीं, सीड्स विधि में सूक्ष्म रेडियो सक्रिय बीजों को कैंसर ग्रंथि में प्रत्यारोपित किया जाता है, जो धीरे-धीरे विकिरण छोड़ते हैं और कुछ सप्ताह में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। निष्क्रिय हो जाने के बाद ये बीज शरीर में ही रहते हैं, पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।

**एम्स में हर साल हजारों मरीजों को मिल रही राहत**

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में यह अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध है और हर वर्ष डेढ़ हजार से अधिक मरीजों का सफल उपचार किया जाता है।

सरकारी अस्पतालों में इस उपचार की लागत मात्र 25 से 40 हजार रुपये तक आती है, जबकि पारंपरिक सर्जरी में यही खर्च डेढ़ लाख रुपये तक पहुंच जाता है।

ब्रेकीथेरेपी न केवल खर्च में किफायती है, बल्कि यह तेजी से असर दिखाने वाली और कम तकलीफदायक तकनीक के रूप में कैंसर उपचार की दिशा में बड़ी उपलब्धि साबित हो रही है।

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