निजी अस्पतालों का नया पैंतरा, मरीजों की निजी जानकारी लीक कर फोन पर इलाज के ऑफर

निजी अस्पताल मरीजों को लुभाने के लिए अनैतिक तरीके अपना रहे हैं। कई मरीजों को अज्ञात नंबरों से फोन कॉल्स आ रहे हैं, जिनमें उनकी बीमारियों, जैसे डायबिटीज, का जिक्र कर अस्पतालों में इलाज के लिए बुलाया जा रहा है। यह सवाल उठता है कि मरीजों की निजी मेडिकल जानकारी अस्पतालों तक कैसे पहुंच रही है? यह न केवल गोपनीयता का उल्लंघन है, बल्कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत गैरकानूनी भी हो सकता है।
मरीजों का कहना है कि दवा खरीदने या लैब में टेस्ट कराने के दौरान दी गई जानकारी, जैसे मोबाइल नंबर और बीमारी का ब्यौरा, डेटाबेस में दर्ज हो जाती है। यह जानकारी किसी न किसी चैनल के जरिए निजी अस्पतालों तक पहुंच रही है। इसके बाद मरीजों को फोन कर मुफ्त अपॉइंटमेंट और विशेषज्ञ डॉक्टरों से इलाज का लालच दिया जाता है।
एक महिला ने बताया कि उन्हें दो बार ऐसे कॉल आए, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को बड़े अस्पताल समूह से जुड़ा बताया और डायबिटीज के इलाज के लिए बुलाया। कॉलर ने कुछ डॉक्टरों के नाम भी बताए, लेकिन जांच करने पर पता चला कि वे विशेषज्ञ नहीं थे। टोंक रोड निवासी मितुल ने बताया कि उनके पिता की बीमारी के लिए भी ऐसा ही कॉल आया, जिससे उन्हें फ्रॉड का डर सताने लगा।
मार्केटिंग का नया तरीका
यह प्रक्रिया अस्पतालों की मार्केटिंग रणनीति का हिस्सा प्रतीत होती है। मुफ्त अपॉइंटमेंट के ऑफर से मरीजों को लगता है कि उन्हें विशेष सुविधा मिल रही है, जबकि असल में यह मरीजों को आकर्षित करने का एक तरीका है। बड़े हेल्थ ग्रुप्स के अस्पताल भी इस तरह की रणनीति में शामिल हैं।
निजता का उल्लंघन, कानूनी कार्रवाई संभव
विधि विशेषज्ञों का कहना है कि मरीजों की मेडिकल जानकारी का लीक होना न केवल गोपनीयता का उल्लंघन है, बल्कि यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं का भी उल्लंघन हो सकता है। यह अवैध सूचना भंडारण और प्रसार की श्रेणी में आता है। अस्पतालों और डेटा प्रोसेसिंग एजेंसियों के लिए अनिवार्य है कि वे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत सुरक्षा मानकों का पालन करें। डेटा उल्लंघन के मामले में मरीज उपभोक्ता कोर्ट या अन्य न्यायालयों में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
मरीजों में डर और असमंजस
ऐसे कॉल्स से मरीजों में डर और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लोग न केवल अपनी निजी जानकारी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, बल्कि फ्रॉड की आशंका से भी परेशान हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि मरीज अपनी मेडिकल जानकारी साझा करते समय सावधानी बरतें और अनजान कॉल्स पर भरोसा करने से बचें। साथ ही, ऐसी घटनाओं की शिकायत तुरंत पुलिस या साइबर सेल में दर्ज करानी चाहिए।
