हेल्थ इंश्योरेंस में बड़ा बदलाव: अब हर अस्पताल में मिलेगा कैशलेस इलाज

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों के लिए बड़ी राहत की खबर है. इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) ने हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. अब इलाज के लिए पूरी तरह कैशलेस सुविधा का रास्ता साफ हो गया है. यानी अगर आपके पास हेल्थ पॉलिसी है, तो नेटवर्क अस्पताल की शर्त अब बाधा नहीं बनेगी. इसके अलावा, क्लेम रिजेक्शन, पॉलिसी रिन्युअल और डिस्क्लोजर से जुड़े नियमों में भी आम लोगों के हक में बड़ा सुधार किया गया है. आइए जानते हैं IRDAI के 7 बड़े बदलाव और उनका क्या असर होगा—
अब हर अस्पताल में मिलेगा कैशलेस इलाज
IRDAI ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे केवल नेटवर्क अस्पतालों तक ही कैशलेस सुविधा सीमित न रखें. अगर पॉलिसीधारक किसी गैर-नेटवर्क अस्पताल में भी इलाज करवाता है, तो कंपनी को कैशलेस क्लेम स्वीकार करना होगा. बीमा कंपनी अब “नेटवर्क में नहीं है” कहकर कैशलेस क्लेम खारिज नहीं कर सकती.
कैशलेस क्लेम पर फैसला सिर्फ 1 घंटे में, भुगतान 3 घंटे में
IRDA ने स्पष्ट किया है कि अब अस्पताल में भर्ती के समय भेजे गए कैशलेस अनुरोध पर बीमा कंपनी को 1 घंटे के भीतर निर्णय देना होगा. इलाज के बाद जब अस्पताल बिल भेजेगा, तो कंपनी को 3 घंटे के अंदर भुगतान करना होगा. अगर इसमें देरी होती है या अस्पताल अतिरिक्त राशि वसूलता है, तो बीमा कंपनी को इसका मुआवज़ा देना होगा.
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बड़े क्लेम पर अब रिन्युअल से इंकार नहीं कर सकेगी कंपनी
अभी तक अगर आपने बड़ी रकम का क्लेम किया है, तो कई बार बीमा कंपनी अगली बार पॉलिसी रिन्युअल करने से इंकार कर देती थी. लेकिन नए नियम के तहत सिर्फ क्लेम करने के आधार पर रिन्युअल से इनकार नहीं किया जा सकता. जब तक पॉलिसीधारक खुद कवरेज बढ़ाने की मांग न करे, तब तक कंपनी नई अंडरराइटिंग प्रक्रिया नहीं अपना सकती.
ओम्बड्समैन के आदेश नहीं माने तो बीमा कंपनी पर जुर्माना
अगर बीमा विवाद में पॉलिसीधारक के पक्ष में बीमा लोकपाल (Ombudsman) का आदेश आता है, तो बीमा कंपनी को 30 दिनों के भीतर पालन करना होगा. यदि ऐसा नहीं किया गया, तो कंपनी को हर दिन 5000 रुपये का जुर्माना देना होगा. ये व्यवस्था बीमा कंपनियों पर जवाबदेही तय करेगी.
हर आयु वर्ग और दिव्यांगों के लिए कस्टम पॉलिसी
IRDAI ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे ऐसी योजनाएं लाएं, जो बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जाएं. साथ ही अब OPD (आउट पेशेंट), डे-केयर और होम केयर इलाज भी कवर करना जरूरी होगा. इसके अलावा रॉबोटिक सर्जरी, ऑर्गन ट्रांसप्लांट जैसी एडवांस प्रक्रियाएं भी शामिल की जाएंगी.
क्लेम रिजेक्शन की प्रक्रिया अब होगी पारदर्शी
अब कोई बीमा कंपनी एकतरफा निर्णय लेकर क्लेम रिजेक्ट नहीं कर सकेगी. अब तीन लोगों की एक कमेटी द्वारा क्लेम रिजेक्शन का फैसला होगा, और क्लेम अस्वीकार करने की स्पष्ट और लिखित वजह देना अनिवार्य होगा. इससे मनमाने रिजेक्शन की घटनाएं कम होंगी.
5 साल पॉलिसी होल्ड करने पर सभी बीमारियां होंगी कवर
अगर कोई पॉलिसीधारक लगातार 5 साल तक हेल्थ पॉलिसी चालू रखता है, तो उसके बाद कोई बीमारी बीमा से बाहर नहीं मानी जाएगी. यानी सभी बीमारियों का कवरेज अनिवार्य हो जाएगा—भले ही आप कंपनी बदलें. केवल धोखाधड़ी साबित होने पर ही कवरेज से इनकार किया जा सकता है.
पॉलिसी के नियमों की होगी आसान व्याख्या
अब सभी बीमा कंपनियों को ग्राहक को Customer Information Sheet (CIS) देनी होगी, जिसमें पॉलिसी की प्रमुख बातें आसान भाषा में समझाई गई होंगी. इससे आम आदमी को यह समझने में सहूलियत होगी कि उसकी पॉलिसी में क्या-क्या कवर है और क्या नहीं.
इन बदलावों का क्या असर पड़ेगा
इन नए नियमों से देशभर के करोड़ों हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों को राहत मिलेगी. पहले बीमा कंपनियां मनमाने ढंग से क्लेम रिजेक्ट कर देती थीं, नेटवर्क अस्पताल की बाध्यता, अस्पष्ट नियम और देर से भुगतान जैसी दिक्कतें आम थीं. लेकिन अब ग्राहक केंद्रित व्यवस्था लागू होगी, जहां पारदर्शिता, जवाबदेही और सुविधा को प्राथमिकता दी गई है.
IRDAI के इन सुधारों का उद्देश्य
बीमा सेक्टर में ग्राहकों का भरोसा बढ़ाना
हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज को सभी वर्गों तक पहुंचाना
क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाना
बीमा कंपनियों को नवाचार के लिए प्रेरित करना