सिर्फ 50 पैसे की स्मार्ट चिप से मरीजों की जान होगी सुरक्षित,: ग्लूकोज़ खत्म होने से पहले मिलेगा अलर्ट,भीलवाड़ा में भी उपलब्ध होते ही होगा उपयोग

ग्लूकोज़ खत्म होने से पहले मिलेगा अलर्ट,भीलवाड़ा में भी उपलब्ध होते ही होगा उपयोग
X

भीलवाड़ा ,अस्पतालों में मरीजों को ग्लूकोज़ चढ़ाते समय अक्सर देखने को मिलता है कि बोतल खाली हो जाने पर मरीज की स्थिति अचानक बिगड़ जाती है। डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को समय रहते बोतल बदलनी पड़ती है, लेकिन कई बार भीड़ और काम के दबाव में यह ध्यान नहीं रह पाता। नतीजा, मरीज खतरे में पड़ जाता है।अब अस्पतालों में मरीजों को ग्लूकोज़ चढ़ाने के दौरान लापरवाही या देरी से होने वाली दिक्कतें इतिहास बनने वाली हैं। IIT कानपुर** के **नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स ने एक ऐसी ‘स्मार्ट चिप’ तैयार की है, जो समय रहते अलर्ट भेजकर मेडिकल टीम को सतर्क कर देगी। सबसे खास बात यह है कि इस चिप की कीमत केवल50 पैसे होगी।

यह चिप आने वाले समय में देशभर के अस्पतालों में बड़ी राहत दे सकती है।लेकिन अभी चोट शहरो तक आने में कुछ वक्त लगेगा भीलवाड़ा के सिद्धि विनायक हॉस्पिटल के निर्देशक डॉ दुष्यंत शर्मा ने कहा की ये अच्छी खोज हे और बाजार में उपलब्ध होते ही हमे भी इसका उपयोग करेने पर विचार करेंगे.




कैसे काम करेगी यह चिप?

* यह चिप ग्लूकोज़ की बोतल पर चिपका दी जाएगी।* जैसे ही बोतल खाली होने लगेगी और उसमें **हवा (एयर बबल)** बनने की स्थिति आएगी, चिप तुरंत अलर्ट मैसेज भेज देगी।

* यह चिप एक **ब्लूटूथ डिवाइस** से जुड़ी होगी।

* एक ही ब्लूटूथ डिवाइस से **12 मरीजों की बोतलें एक साथ मॉनिटर** की जा सकेंगी।

इसका मतलब यह हुआ कि नर्सिंग स्टाफ को हर कमरे या हर बेड पर जाकर बार-बार बोतलें चेक नहीं करनी पड़ेंगी।

मरीजों की सुरक्षा, स्टाफ की सुविधा

* समय रहते अलर्ट मिलने से मरीजों को गंभीर स्थिति से बचाया जा सकेगा।

* स्टाफ को बार-बार बोतल देखने की जरूरत नहीं होगी।

* ICU और बड़े अस्पतालों में जहां एक नर्स कई मरीजों को संभालती है, वहां यह तकनीक बेहद उपयोगी साबित होगी।

कम कीमत, बड़ा असर

इस चिप को विकसित करने वाली टीम की रिसर्च फेलो **वंदना सिंह** बताती हैं कि बड़े पैमाने पर उत्पादन होने पर इसकी लागत केवल 50 पैसे होगी।

इससे छोटे अस्पताल और ग्रामीण क्षेत्रों की हेल्थ सर्विसेज में भी इसे आसानी से लागू किया जा सकेगा।

ट्रायल में सफलता

कानपुर के रीजेंसी हॉस्पिटल में इस चिप का सफल ट्रायल हो चुका है। अब वहां इसे मरीजों की देखभाल में उपयोग भी किया जा रहा है।

डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि इस तकनीक से उनकी निगरानी का काम आसान हुआ है और मरीज भी अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

स्वास्थ्य सेवा में क्रांति की दिशा

भारत जैसे विशाल देश में जहां अस्पतालों में मरीजों की संख्या अधिक और स्टाफ अपेक्षाकृत कम होता है, वहां इस तरह की **सस्ती और स्मार्ट तकनीकें** किसी क्रांति से कम नहीं हैं।

समस्या क्या थी?

अस्पतालों में मरीजों को ग्लूकोज़ चढ़ाते समय कई बार बोतल खाली हो जाने पर देरी से पता चलता है।

इससे एयर बबल शरीर में चला जाता है और मरीज की हालत बिगड़ सकती है।

स्टाफ पर काम का बोझ अधिक होने से मैन्युअल निगरानी मुश्किल हो जाती है।

मरीज और स्टाफ को राहत

* मरीज की जान को खतरा नहीं रहेगा ।

* नर्सिंग स्टाफ को बार-बार बोतल चेक करने की जरूरत नहीं।

* ICU और बड़े अस्पतालों के लिए बहुत फायदेमंद।



Tags

Next Story