सूरज की रोशनी या फिर सप्लीमेंट्स, विटामिन डी के लिए क्या है ज्यादा बेहतर?

सूरज की रोशनी या फिर सप्लीमेंट्स, विटामिन डी के लिए क्या है ज्यादा बेहतर?
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हमारे देश में पर्याप्त सूर्य की किरणें आने के बावजूद 70 से 80 फीसदी लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सूर्य की किरणें विटामिन डी का सबसे बेहतरीन स्रोत माना जाता है. डॉक्टर्स का कहना है कि सुबह की सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन डी का निर्माण तेजी से होता है.

विटामिन डी हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है. इसकी कमी की वजह से कमजोरी, थकान और हड्डियों में कमजोरी आना शुरू हो जाता है. इसलिए हमें स्वस्थ रहने के लिए विटामिन डी की बेहद ज्यादा आवश्यकता है. एनआईएच यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक साल की उम्र से लेकर 70 वर्ष की आयु वाले व्यक्ति तक में विटामिन डी 50 नैनोमोल्स/लीटर से 125 नैनोमोल्स/लीटर के बीच होना चाहिए. इससे कम लेवल विटामिन डी की कमी की श्रेणी में आता हैं.

जब शरीर में विटामिन डी की कमी होती है तो कई समस्याएं आनी शुरू हो जाती है ऐसे में डॉक्टर्स विटामिन डी के सप्लीमेंट्स से इस कमी को पूरा करते हैं लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर सूर्य की किरणों से हमें विटामिन डी मिल रहा है तो क्या हमें सप्लीमेंट लेना चाहिए और दोनों में विटामिन डी का बेहतरीन स्रोत क्या है.

हाल ही में विटामिन डी को लेकर काफी चर्चा हो रही है, क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों में इसकी कमी पाई जा रही है इसकी बड़ी वजह अनियमित जीवनशैली, काम के विषम घंटे और लंबे समय तक एसी वाले कमरों में समय बिताना है. जिसकी वजह से लोग बाहर निकलना ही भूल गए हैं जिससे सूरज की रोशनी में जाना कम हो गया है.

सूर्य की रोशनी

जब हमारी खुली स्किन सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आती है तो ये किरणों से विटामिन डी को सोखती है और स्किन में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को विटामिन डी में बदल देती है जिसके बाद ये विटामिन लिवर और किडनी द्वारा मैनेज किया जाता है ताकि शरीर पूरी तरह से इस विटामिन डी का इस्तेमाल कर सके. इसलिए कहा जाता है कि अगर व्यक्ति पर्याप्त धूप लेता रहे तो उसे विटामिन डी सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं पड़ती. चूंकि अब सूर्य की रोशनी का एक्सपोजर कम हो गया है तो इसकी समस्या खड़ी हो रही है. इसी समस्या की पूर्ति के लिए सप्लीमेंट्स की जरूरत पड़ती है.

कैसे काम करते हैं विटामिन डी सप्लीमेंट्स

इन सप्लीमेंट्स का उपयोग उन्हीं लोगों द्वारा किया जाता है जो प्राकृतिक तरीके से विटामिन डी बनाने में असक्षम हैं. लेकिन अगर आप पर्याप्त मात्रा में सूर्य की रोशनी वाली जगह पर हैं तो इन सप्लीमेंट्स पर निर्भर न रहें, सप्लीमेंट्स की बजाह सुबह के समय कुछ मिनट सूर्य की किरणों में रहें.

सप्लीमेंट्स के साइडइफेक्ट्स

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर आपको नैचुरल सनलाइट मिल रही है और आपका शरीर पर्याप्त विटामिन डी बना रहा है तो आपको सप्लीमेंट्स लेने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इन सप्लीमेंट्स को लेने से शरीर में टॉक्सिसिटी बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप हाइपरकैल्सीमिया यानी की शरीर में कैल्शियम की अधिकता हो सकती है जो अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है. साथ ही विटामिन डी की दवाई महंगी होती है, जबकि सूर्य की किरणें आपको मुफ्त में मिलती हैं.

आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. अंकित कुमार का कहते हैं कि जिन इलाकों में पर्याप्त धूप आती है वहां सूरज की रोशनी से विटामिन डी लेना ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि सप्लीमेंट्स के अपने नुकसान हो सकते हैं. लेकिन अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहां पर्याप्त सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती या कम पहुंचती है तो आपको सप्लीमेंट्स की आवश्यकता हो सकती है. इसलिए किसी भी स्थिति पर पहुंचने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह करें.

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