चमत्कार: चार पैर वाले किशोर की सर्जरी कर दिया जीवन, दुनियाभर में इस तरह के अब तक आए सिर्फ 40 मामले
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एम्स अस्पताल के डॉक्टरों ने एक अद्भुत सर्जरी कर किशोर को नई जिंदगी दी। उत्तर प्रदेश का रहने वाला 17 वर्षीय किशोर चार पैरों के साथ जीवन जीने को मजबूर था। लोग उसे ताने मरते थे। हंसी उड़ाते थे। इस कारण उसकी पढ़ाई भी छूट गई थी। किशोर की शारीरिक बनावट आम लोगों से अलग थी।
किशोर के पेट से दो पैर लटके हुए थे। इन पैरों की लंबाई करीब डेढ़-दो फीट थी। पेट से किशोर की जांघ तक एक पैर लटका हुआ था। जबकि दूसरा पैर दाएं हाथ की तरफ मुड़ा हुआ था। किशोर, इनकंप्लीट पैरासिटिक ट्विन (जुड़वा भ्रूण में से एक भ्रूण का ठीक से विकसित न होना) दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था। 50 हजार से लेकर एक लाख लोगों में से किसी एक को यह बीमारी होती है। दुनियाभर में अब तक इस तरह के 40 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन दिल्ली एम्स में यह इस तरह का पहला मामला था।
ओपीडी में किशोर देख हुए आश्चर्यचकित
किशोर की सर्जरी करने वाले मुख्य सर्जन एम्स के डॉ. असुरी कृष्णा ने बताया कि किशोर 28 जनवरी को पहली बार अस्पताल की ओपीडी में उपचार के लिए आया था। जिसे देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए थे। किशोर ने अपने पेट को ढक रखा था। ऐसा लग रहा था कि पेट के पास किसी चीज को छिपा रखा हो। किशोर को तुरंत अस्पताल में भर्ती किया गया।
किशोर के पेट में भी दो गांठ
किशोर अपने एक रिश्तेदार की सलाह पर एम्स में उपचार के लिए आया था। किशोर की चिकित्सीय जांच की गई। सीटी एंजियोग्राफी और सीटी स्कैन किया गया। सीटी स्कैन से पेट में दो गांठ( सिस्ट) के बारे में पता चला। सीटी एंजियोग्राफी से पेट पर लटकने वाले पैरों में रक्त की आपूर्ति खोजी जो किशोर की छाती से हो रही थी।
आठ फरवरी को किशोर की हुई सर्जरी
फिर आठ फरवरी को सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि किशोर की सर्जरी बहुत जटिल थी। इसमें दो मुख्य भाग शामिल थे। पहले भाग में ठीक ढंग से विकसित ने होने वाले अंग को हटाना था। सर्जनों ने अंग के आधार के चारों ओर एक गोलाकार चीरा लगाया, जहां यह उसकी छाती से जुड़ा हुआ था। उन्होंने त्वचा और ऊतक को सावधानीपूर्वक काटा। अंग को आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं की पहचान की और उन्हें बांध दिया, और हड्डी के जुड़ाव को अलग कर दिया।
किशोर की सर्जरी में लगे ढाई घंटे
उन्होनें बताया कि सर्जरी के दूसरे भाग में किशोर के पेट में मौजूद बड़े सिस्टिक द्रव्यमान को निकालना शामिल था। सर्जनों ने पेट तक पहुंचने के लिए एक मध्य रेखा चीरा लगाया और उस द्रव्यमान को सावधानीपूर्वक अलग किया जो पेट की दीवार, आंत और यकृत से चिपका हुआ था। सर्जरी के इस भाग के दौरान यह देखने को मिला कि ब्लैडर असामान्य रूप से ऊपर नाभि तक फैला हुआ था। मूत्राशय के इस हिस्से को सावधानीपूर्वक बांधा गया और विभाजित किया गया। उस क्षेत्र में एक नली डाली गई जहां द्रव्यमान था और पेट को टांके लगाकर बंद कर दिया गया। इस पूरी सर्जरी में ढाई घंटे का समय लगा। किशोर अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
एक भ्रूण का गर्भ में नहीं हुआ विकास
उन्होंने बताया कि किशोर के पेट पर दो अलग-अलग पैर लटकने की वजह गर्भ में जुड़वा बच्चों का होना था। जिसमें से एक भ्रूण का ठीक ढंग से विकास नहीं हुआ। किशोर के परिजनों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी उस वक्त वह इसकी जांच नहीं करवा सके। बच्चे के विकास के साथ उसके पेट पर लटके अंगों का विकास होता चला गया।
चार दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी
डॉ असुरी कृष्णा ने बताया कि सर्जरी के पहले दिन से किशोर ने खाना पीना शुरू कर दिया। सर्जरी के चौथे दिन ही उसको डिस्चार्ज कर दिया गया। पेट से पैरों के हट जाने पर किशोर और उसके परिवार वाले बहुत खुश हैं। लड़के को देखकर वह अपने आंसू नहीं रोक पाए। किशोर अपनी सामान्य जिंदगी जी सकेगा।
जीवन में पहली बार की सर्जरी
डॉक्टर ने बताया कि जीवन में पहली बार इस तरह की सर्जरी की। जिसमें की दूसरे विभाग भी शामिल हुए। सर्जिकल विभाग से टीम में डॉ वीके बंसल, डॉ सुशांत, डॉ ब्रजेश कुमार सिंह, डॉ अभिनव कुमार, डॉ जयमीन, प्लास्टिक सर्जरी विभाग से डॉ मनीष सिंघल और डॉ शशांक, एनीस्थिसिया विभाग से डॉ राकेश और डॉ गंगा प्रसाद, रेडियोलॉजी विभाग से डॉ अंकिता और डॉ अतिन सहित दूसरे स्वास्थ्य कर्मी हुए शामिल।