चांदी पुरा वायरस: सैंटफ्लाई नामक मक्खी से फैलती है बीमारी जाने लक्षण और बचाव के तरिके

सैंटफ्लाई नामक मक्खी से फैलती है बीमारी जाने लक्षण और बचाव के तरिके
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भीलवाड़ा . चांदी पुरा वायरस का पहली संदिग्धरोगी शाहपुरा जिले में मिली हे . यह बीमारी सैंटफ्लाई नामक मक्खी से फैलती है. हालांकि यह चांदीपुरा वायरस की वजह से ग्रस्ति हुई हैं या नहीं इसका पता खून के नमूने जांच के परिणाम अ आने पर ही चलेगा है.चलिए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्या है चांदी पुरा वायरस के फैलने का कारण?

चांदीपुरा वायरस एक वेक्टर से फैलने वाली बीमारी है जिसकी कैरियर है सैंड फ्लाई मक्खियां.यह मक्खियां कच्चे पक्के मकान में रहतीं हैं जहां की दीवारें मिट्टी और गोबर से बनी होती है यह मक्खियां घर के अंदरूनी हिस्सों में होती है इन मक्खियों के लिए नमी सबसे अनुकूल स्थिति होती है पैदा होने और रहने के लिए. यह सैंड फ्लाई पहले अंडा देते हैं फिर यह अंडे बाद में मक्खियों का रूप ले लेते हैं. यह मक्खियों आकार में बहुत छोटी होती हैं, सामान्य मक्खियों से लगभग चार गुना छोटी होती है.

गुजरात के सिविल अस्पताल के चिकित्सक डॉ आशीष जैन ने चांदीपुरा वायरस के बारे में यह जानकारी दी है कि “चांदीपुरा वायरस सैंडफ्लाई और मच्छर दोनों सेफैलती है यह मक्खियों उन घरों के दीवारों मेंआई दरारों में नजर आती है जो मिट्टी या गोबर से पुती हुई होती हैं.गंदे कीचड़ और दलदल वाले इलाकों में बने घरों की दीवारों में आई दरारों में भी यह मक्खियों मिलती हैंजिन कमरों में हवा और सूरज की रोशनीनहीं पहुंचती है वहां पर यह मक्खियों सबसे ज्यादा पैदा होती हैं.

सैंडफ्लाई मक्खियों से फैलने वाला यह रोग संक्रामक नहीं है, इसका मतलब होता है कि अगर यह बीमारी किसी एक बच्चे को तो है तो वह किसी दूसरे बच्चे को नहीं फैलेगी. हालांकि अगर सैंडफ्लाई मक्खी किसी संक्रमित बच्चे को काटती है और फिर वह दोबारा किसी स्वस्थ बच्चे को काटती है तो हो सकता है वह बच्चा बीमार पड़ जाए. इस बीमारी पर डॉक्टर आशीष जैन ने बताया कि इससे जान गवाने वाले बच्चों का दर करीब 85 फ़ीसदी है जिसका मतलब है कि अगर 100 बच्चों को यह बीमारी होती है तो 15 ही बचाए जा सकते हैं .

किसको करती है या बीमारी अपना शिकार ?

आमतौर पर 14 वर्ष तक की आयु वाले बच्चे ही इस बीमारी का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं, और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हें भी यह बीमारी अपना शिकार बन सकती है.

डॉक्टर के मुताबिक इस बीमारी का अभी तक कोई सफल इलाज नहीं मिल पाया हैऔर ना ही इसके लिए किसी भी तरह की वैक्सीन खोजी जा पाई है केवल उनके लक्षणों का ही इलाज संभव है इस बीमारी के होने के कुछ समय बाद बच्चा कोमा में भी जा सकता है. चलिए जानते हैं इस घातक बीमारी के लक्षणों के बारे में.

चांदीपुरा वायरस के लक्षण

तेज बुखार

दस्त लगना

उल्टी आना

जब्ती

नींद ना आना

बेहोशी

चमड़ी पर धब्बे पड़ना

बचाव के तरीके

इस घातक बीमारी से बचाव का सबसे अनुकूल तरीका है घरों एवं घरों के आसपास के इलाकों में साफ सफाई रखना और पानी नहीं इकट्ठा होने देना, घरों के आसपास कूड़े का ढेर और कचरा ना इकट्ठा होने देना, दीवारों में आई दरारों को और गड्ढों को जल्द से जल्द ठीक करवाना, कमरे के अंदर प्रॉपर वेंटिलेशन और सूरज की रोशनी आने के लिए खिड़कियां बनवाना, बच्चों को मच्छरदानी में ही सुलाना, अगर हो सके तो बच्चों को खुले में खेलने ना दे, आसपास के इलाकों में मच्छर और मक्खियों को पनपने से रोके. इसके अलावा इस बीमारी के किसी भी लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें और इलाज करवाएं.

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