आपके दिल का हाल बताएगा ये सस्ता ब्लड टेस्ट: मिनटों में चल जाएगा पता ,आपको हार्ट अटैक-स्ट्रोक का खतरा तो नहीं

पहले तक हृदय की बीमारियों को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या के तौर पर जाना जाता था हालांकि पिछले कुछ वर्षों में, विशेषकर कोरोना महामारी के बाद से 20 से कम उम्र वाले भी न सिर्फ इसका शिकार हो रहे हैं बल्कि इस आयुवर्ग में मौत के मामलों को भी बढ़ते देखा जा रहा है।
डॉक्टर कहते हैं, सभी लोगों को हृदय स्वास्थ्य को लेकर अलर्ट रहना चाहिए। जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को हार्ट की बीमारी रही हो उन्हें विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। ऐसे लोगों को अपने ब्लड प्रेशर-कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच भी कराते रहना चाहिए ताकि अपने जोखिमों को कम किया जा सके।
क्या कोई ऐसा तरीका है जिसकी मदद से ये जाना जा सके कि आपको भविष्य में हार्ट अटैक या स्ट्रोक तो नहीं होगा?
troponin blood tests for heart attack and stroke risk prediction heart attack ka kaise pta lagaye
ब्लड टेस्ट से जान सकेंगे हार्ट अटैक का खतरा
शोधकर्ता कहते हैं, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की निगरानी के माध्यम से आप हृदय संबंधित जटिलताओं का आकलन कर सकते हैं। इसके अलावा लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) के विशेषज्ञों ने एक ऐसे ब्लड टेस्ट की जानकारी दी है जिसके माध्यम से भी पता लगाया जा सकता है कि भविष्य में आपको हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा तो नहीं है?
विशेषज्ञों ने बताया कि खून में ट्रोपोनिन नाम का एक प्रोटीन पाया जाता है जिसकी मदद से ये जाना जा सकता है कि आपको हार्ट अटैक और स्ट्रोक तो नहीं होगा। सबसे खास बात ये टेस्ट काफी किफायती भी है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस टेस्ट की कीमत £5 (565 भारतीय रुपये) है।
ट्रोपोनिन हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं में पाया जाता है और जब हृदय में कोई समस्या होती है या ये क्षतिग्रस्त होने लगता है तो इस प्रोटीन की मात्रा खून में बढ़ने लग जाती है। वर्तमान में कई अस्पतालों में दिल के दौरे का पता लगाने कि लिए हाई सेंसिटिविटी ट्रोपोनिन ब्लड टेस्ट किया जाता रहा है। एलएसएचटीएम द्वारा किए गए इस अध्ययन में शोधकर्तांओ ने बताया कि नियमित रूप से इन परीक्षणों के उपयोग से उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जिनमें हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम अधिक हो सकता है।
अध्ययन में क्या पता चला?
जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के लिए टीम ने यूरोप-उत्तरी अमेरिका में किए गए 62,000 से अधिक लोगों पर किए गए 15 से अधिक अध्ययनों का विश्लेषण किया। इसमें प्रत्येक व्यक्ति के ट्रोपोनिन लेवल के साथ पारंपरिक जोखिम कारक जैसे आयु, रक्तचाप, मधुमेह का इतिहास, धूम्रपान की स्थिति और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी मापा गया। इसके बाद प्रतिभागियों पर लगभग 10 वर्षों तक नजर रखी गई ताकि यह देखा जा सके कि उन्हें दिल का दौरा या स्ट्रोक तो नहीं पड़ा।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के निष्कर्ष में पाया कि अकेले कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर की रिपोर्ट की तुलना में ट्रोपोनिन लेवल की जांच के आधार पर जो भविष्यवाणियां की गईं वो चार गुना अधिक सटीक थीं। विशेषज्ञों ने कहा नियमित रूप से हृदय स्वास्थ्य की जांच के लिए किए जाने वाले टेस्ट के साथ इस टेस्ट को शामिल करके बड़ी संख्या में न सिर्फ लोगों को दिल के दौरे और स्ट्रोक से बचाया जा सकता है, साथ ही ये हृदय रोगों के कारण अस्पतालों पर बढ़ने वाले दबाव को भी कम कर सकता है।
अध्ययन के मुख्य लेखक और एलएसएचटीएम में कार्डियोवैस्कुलर मेडिसिन के प्रोफेसर अनूप शाह ने कहा: "ट्रोपोनिन सामान्य सीमा में भी, हृदय की मांसपेशियों की क्षति का एक साइलेंट संकेत हो सकता है। इस प्रकार, यह परीक्षण हार्ट अटैक के जोखिम की भविष्यवाणी करने में सहायक हो सकता है।