भोर हुई
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By - Bhilwara Halchal |20 April 2023 3:35 PM IST
कोयल कूक रही
पपीहा पिहक रहा
चिड़ियों की चह-चह से गुंजित हैं उपवन
अधसोए अधजगे भ्रमित हैं जन
जोड़ जोड़ तोड़ती अंगड़ाई है
भोर हुई !
दरबे से बांग मुर्गे लगा रहे
मुंडेरों पर कबूतर गुटर गूं गा रहे
छत पर संदेशा कागा ले आया है
उतर गौरइयों की टोली
आंगन में आई है
भोर हुई !
सूरज की बग्घी पूरब से आ रही
गगन के गालों की लाली बतला रही
सपनों की चादर खींच खिड़की से गई हवा
रोशनदानों में किरणों की अभी-अभी
चुनरी लहराई है
भोर हुई !
दामोदर के लोटे झब्बू की दातुन में
डब्बू के ना-नुकुर पिंकी के खिन-खुन में
काकी की भिन्न-भिन्न काका की जम्हाई में
बछड़ों की उछल-कूद गायों की रम्हाई में
भरपूर तरुणाई है
भोर हुई !
डॉ एम डी सिंह
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