धरती की तरफ बढ़ रहा है एपोफिस एस्टेरॉयड, इसरो प्रमुख ने तबाही को लेकर दी चेतावनी

धरती की तरफ बढ़ रहा है एपोफिस एस्टेरॉयड, इसरो प्रमुख ने तबाही को लेकर दी चेतावनी
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काफी लंबे समय से एस्टेरॉयड को पृथ्वी के लिए खतरा बताया जा रहा है। अगर पृथ्वी से एस्टेरॉयड टकाराता है, तो बड़ी तबाही मच सकती है। बताया जाता है कि एक बार पृथ्वी से एस्टेरॉयड टकराया था, जिसके बाद डायनासोर का खात्मा हो गया था। एक बार फिर पृथ्वी से एस्टेरॉयड के टकराने का खतरा मंडरा रहा है। इसको लेकर दुनिया के बड़े देश तैयारी कर रहे हैं। भारत भी तैयारी में लगा हुआ है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख डॉ. सोमनाथ ने इस एस्टेरॉयड को लेकर चिंता जताया है। उन्होंने इसे खतरनाक बताया है।

इसरो प्रमुख डॉ. सोमनाथ ने एक साक्षात्कार में कहा कि अगर एक बड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता है तो इंसानियत खत्म हो जाएगी। उनका कहना है कि इस समय इसरो लगातार इस एस्टेरॉयड पर नजर रख रहा है और उसे ट्रैक कर रहा है। इसकी ट्रैकिंग के लिए नेटवर्क फॉर स्पेस ऑबजेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA) प्रोजेक्ट चल रहा है। पृथ्वी के लिए खतरा बताए जा रहे खतरनाक एस्टेरॉयड का नाम एपोफिस है।


इस एस्टेरॉयड का आकार तीन फुटबॉल स्टेडियम के बराबर है। साल 2004 में इस एस्टेरॉयड की खोज की गई थी। वैज्ञानिकों की आशंका है कि पृथ्वी से यह एस्टेरॉयड टकरा सकता है। हालांकि, इसके धरती के टकराने की संभावना बहुत कम है, लेकिन वैज्ञानिक टक्कर से इंकार नहीं कर रहे हैं।

इस साल पृथ्वी के करीब आएगा एस्टेरॉयड

एपोफिस नाम का यह एस्टेरॉयड 1230 फीट चौड़ा है, जो करीब साढ़े तीन फुटबॉल मैदान के आकार के बराबर है। साल 2068 में इसकी धरती से टक्कर हो सकती है, लेकिन यह उसके पहले दो बार धरती के पास से होकर गुजरेगा। पांच साल बाद 13 अप्रैल 2029 में में यह धरती से सिर्फ 32 हजार किलोमीटर दूर से गुजरेगा। इससे ज्यादा दूरी पर भारत के जियोस्टेशनरी सैटेलाइट तैनात हैं। दूसरी बार यह साल 2036 में पास से गुजरेगा।


इसरो ने अंदाजा लगाया है कि यह एस्टेरॉयड अगर धरती से टकराता है, तो पूरा एशिया खत्म हो सकता है। एस्टेरॉयड की टक्कर वाली जगह से चारों तरफ करीब 20 किलोमीटर के दायरे में सामूहिक संहार हो जाएगा। यानी सबकुछ खत्म हो जाएगा।

कैसे धरती की तरफ घूमा?

यह एस्टेरॉयड सुरक्षित कक्षा में घूम रहा था, लेकिन अचानक धरती की तरफ रूख कर लिया। अब सवाल है कि आखिर यह कैसे हुआ? अंतरिक्ष में घूमने वाला कोई पत्थर सूरज की गर्मी से अपने रास्ते में थोड़ा बदलाव ला सकता है तो उसे यार्कोवस्की प्रभाव कहा जाता है। इस प्रभाव के तहत एस्टेरॉयड की दिशा और गति बदल जाती है। यह तेजी से अंतरिक्ष में उस एस्टेरॉयड की तरफ आने वाली वस्तुओं के लिए खतरनाक होती हैं।

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