महाकुंभ पर प्रेमानंद जी महाराज का क्या है प्लान? खुद बताई यह बात

महाकुंभ पर प्रेमानंद जी महाराज का क्या है प्लान? खुद बताई यह बात
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144 वर्षों के बाद संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ मेला का शुभारंभ हो चुका है. देश-विदेश के संतों और श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग चुका है. उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे. इसी बीच वृंदावन निवासी संत प्रेमानंद जी महाराज महाकुंभ और संतों और श्रद्धालुओं का महिमामंडन किया. साथ ही महाकुंभ 2025 को लेकर उन्होंने अपना प्लान बताया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि महाकुंभ 2025 में प्रेमानंद जी महाराज शामिल होंगे या नहीं.

प्रेमानंद जी महाराज ने महाकुंभ पर बताया प्लान

प्रेमानंद जी महाराज ने महाकुंभ 2025 को लेकर बताया कि वह प्रयागराज नहीं जा रहे हैं. इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि वह वृंदावन धाम नहीं छोड़ सकते हैं. साथ ही वृंदावन धाम से बाहर नहीं जा सकते हैं. महाराज जी ने कहा कि अब यह बहुत मुश्किल है. अब यह नहीं हो सकता है. अब हमारा नर्क-स्वर्ग और अपवर्ग सब यही हैं. वृंदावन को छोड़कर अन्य किसी जगह जाने की इच्छा नहीं रही है. अब हमें किसी प्रकार का लाभ और किसी प्रकार की स्वीकृति नहीं चाहिए. किसी प्रकार का परम पद नहीं चाहिए. अब हमें कुछ चाहिए तो वो प्रिया-प्रीतम और वृन्दावन हैं. इसके आगे कुछ भी चाह नहीं है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब हमारी पूरी निष्ठा वृंदावन धाम तक है. हम कहीं भी नहीं जाना चाहते हैं.

कुंभ को लेकर क्या बोले महाराज?

प्रेमानंद जी महाराज ने कुंभ को लेकर कहा कि एक समय हमारे जीवन में कुंभ जाना हुआ है. लेकिन अब केवल प्रिया-प्रीतम और वृंदावन ही है. वृंदावन के आगे कोई तीर्थ या कोई पुरी जाने की अब कोई इच्छा नहीं रह गई है. अब सब कुछ शांत सा हो गया है. ये सब भी भगवान की दी हुई स्तुति ही है. अब इस स्तुति में कोई हलचल नहीं हो सकती है.

प्रयागराज को लेकर क्या कहे महाराज?

प्रेमानंद जी महाराज ने प्रयागराज की महिमा का बखान करते हुए एक चौपाई सुनाई. उन्होंने कहा कि “तीरथपति पुनि देखु प्रयागा। निरखत जन्म कोटि अघ भागा।।” इस चौपाई का अर्थ हुआ कि तीर्थराज प्रयाग को देखो, जिसके दर्शन मात्र से ही करोड़ों जन्मों के पाप दूर भाग जाते हैं. प्रयाग कोई साधारण जगह नहीं है, बल्कि प्रयाग तीर्थों का राज यानी तीर्थराज है. कुंभ के दौरान प्रयागराज में करोड़ों साधु-संत वास करते हैं. लेकिन हम जैसे कुछ लोग वहां नहीं जा सकते हैं.

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